पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के दो सदस्यीय मंत्रिमंडल विस्तार में जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा हिस्सा नहीं लेंगे। खबरों की मानें तो उपेंद्र कुशवाहा का नाम नीतीश कुमार की कैबिनेट में शामिल था लेकिन बाद में उनका नाम विधायकों की लिस्ट से कट गया। वहीं लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप को मंत्री पद मिलना लगभग तय माना जा रहा है।
हालांकि उपेंद्र कुशवाहा ने मंत्री पद नहीं मिलने की वजह से वे नाराज हैं, इस बात का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि 'ऐसी कोई बात नहीं है। मैं जेडीयू में जहां हूं संतुष्ट हूं। एनबीटी से बातचीत में कुशवाहा ने कहा कि मुझे न तो कोई इच्छा है और न मैं चाहता हूं कि मुझे कोई पद दिया जाए। उन्होंने नाराजगी और नाराज होकर दिल्ली जाने की सूचना को भी भ्रामक बताया। बकौल उपेंद्र कुशवाहा- मैं बिहार में ही हूं और रही बात मेरी नाराजगी की तो ये बातें कहां से आ रही हैं मैं नहीं जानता हूं।
मंत्रिमंडल विस्तार मंगलवार को होना है जिसमें महागठबंधन के विभिन्न घटकों से लगभग 30 सदस्यों को शामिल किया जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, शपथ ग्रहण सुबह 11.30 बजे राजभवन परिसर में एक सादे समारोह के दौरान होगा। आमंत्रित लोगों में राजद (राष्ट्रीय जनता दल) सुप्रीमो लालू प्रसाद भी शामिल हो सकते हैं जिनके सोमवार रात यहां पहुंचने की उम्मीद थी हालांकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि वह मंगलवार की सुबह की विमान से यहां पहुंचेंगे।
बिहार मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल 36 मंत्री हो सकते हैं। मंगलवार को इन मंत्रियों के शामिल होने के बाद भविष्य में मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए अन्य रिक्त स्थानों को भरे जाने की उम्मीद है। प्रदेश में सत्तासीन महागठबंधन के घटक दलों के बीच एक सैद्धांतिक समझौता के तहत बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राजद के पास सबसे ज्यादा मंत्री पद होंगे, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू दूसरे नंबर पर होगी।
कांग्रेस के राज्य प्रभारी भक्त चरण दास ने बताया कि उनकी पार्टी को तीन मंत्री पद मिलने की संभावना है जिनमें से दो को मंगलवार को शपथ दिलायी जाएगी। पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को शपथ ग्रहण के लिए पार्टी ने अफाक आलम (मुसलमान) और मुरारी गौतम (दलित) का चयन किया है। इससे पहले राजेश राम के अलावा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और सबसे मुखर विधायकों में से एक शकील अहमद खान का नाम चर्चा में था।