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बिहारः एटीएस ने किया आतंक की साजिश का बड़ा खुलासा, बरामद किए सात हजार सिम कार्ड 

By एस पी सिन्हा | Updated: October 24, 2018 15:29 IST

रांची पुलिस और साइबर पुलिस ने रांची के कांटाटोली  स्थित हासिब इंक्लेव के एक फ्लैट और कांके के भीठा स्थित एक घर में छापेमारी की। 

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बिहार-झारखंड सहित पूरे देश में आतंक फैलाने की साजिश का एटीएस ने रांची में खुलासा किया है। पुलिस की कई विंगों ने मिलकर एक साथ रांची के अलग-अलग इलाकों में छापेमारी की और लगभग 7 हजार सिम कार्ड बरामद किए। एटीएस के मुताबिक इन सिम कार्ड्स के जरिए देश में आतंक धार्मिक उन्माद के मैसेज वायरल किया जा रहा था। रांची पुलिस और साइबर पुलिस ने रांची के कांटाटोली  स्थित हासिब इंक्लेव के एक फ्लैट और कांके के भीठा स्थित एक घर में छापेमारी की। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार छापेमारी के दौरान वहां से हजारों की संख्या में सिम कार्ड के साथ ही सिम बॉक्स और मॉनिटर बरामद किये गये हैं। पुलिस ने करीब एक दर्जन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। लेकिन मुख्य साजिशकर्ता जावेद नहीं मिला, जिसकी पुलिस को तलाश थी। गिरफ्तार युवक जावेद का रिश्तेदार है। इस सिलसिले में फ्लैट के मालिक से भी पुलिस ने पूछताछ की है। 

जानकारी के मुताबिक मालिक ने पुलिस को बताया कि वह इस फ्लैट को अशरफ नामक शख्स को किराये पर दे रखा था। ऐसा पहली बार हुआ है जब झारखंड की राजधानी से सिम बॉक्स की बरामदगी की गई है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि देश भर में मैसेज वायरल कर धार्मिक उन्माद फैलाने से लेकर हर तरह के साइबर अपराध रांची में बैठ कर अंजाम दिया जा रहा था। इस सिम बॉक्स से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अरब देशों में बातचीत की जाती थी और संदेश भेजे जाते थे। सूत्रों के मुताबिक इंटेलिजेंस की सूचना को ये रैकेट लीक किया करता था। साथ ही धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाले मैसेज को भी वायरल करता था। हालांकि पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है क्योंकि सिम बॉक्स के संचालकों की तलाश इंटरपोल भी कर रही थी। इसी सिम बॉक्स का इस्तेमाल चुनाव में भी गलत ढंग से किया जा सकता था।

पुलिस की शुरुआती जांच में पूरे मामले का तार दुबई से जुडे होने के साक्ष्य मिले हैं। जानकारी के मुताबिक, रैकेट का मास्टरमाइंड जावेद अहमद वर्तमान में दुबई में है। सूत्रों के मुताबिक, जावेद अहमद ने एक मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के पूर्व कर्मी अब्दुल जामिद को सात लाख देकर पटना स्थित कार्यालय से सात हजार सिम कार्ड एक्टिव कराए हैं। इसमें कंपनी के सीनियर मैनेजर पुरुषोत्तम की संलिप्तता भी सामने आई है। 

पुलिस को आशंका है कि कंपनी से 10 हजार से अधिक सिम एक्टिव कराए गए हैं। इन नंबरों का इस्तेमाल धार्मिक उन्माद से जुडे मैसेज वायरल करने, ऑनलाइन शॉपिंग और केबीसी के नाम पर धोखाधडी में भी किया जा रहा था। राजधानी रांची में बैठकर देश के खिलाफ साजिश की खबर सबसे पहले झारखंड एटीएस को लगी। जिसके बाद आनन-फानन में रांची सिटी एसपी अमन कुमार, एटीएस एसपी पी मुरूगन ने साइबर थाने और विशेष शाखा की टीम के साथ संदिग्धों के ठिकानों पर दबिश शुरू की। पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है क्योंकि सिम बॉक्स के संचालकों की तलाश इंटरपोल भी कर रही थी। इसी सिम बॉक्स का इस्तेमाल चुनाव में भी गलत ढंग से किया जा सकता था।

सिम बॉक्स से कॉल किया जा सकता है और बाईपास सिम बॉक्स के जरिए किसी भी कॉल को बाईपास किया जा सकता है। सिम बॉक्स के जरिए मोबाइल नंबर को बायपास किया जाता है। कॉल इंटरकनेक्ट प्रोवाइडर से होकर पब्लिक लैंड मोबाइल नेटवर्क इंटरनेशनल गेटवे पर जाता है। फिर वहां से इंटरनेशनल कॉल को सिम बॉक्स की मदद से लोकल कॉल में बदल दिया जाता है। 

कॉल कन्वर्ट करने से इंटरनेशनल कॉल का लोकल रेट लगता है, वहीं जिस शख्स के नंबर पर सिम बॉक्स के जरिए कॉल जाता है, उसका आईपी एड्रेस भी नहीं निकल पाता। कॉल कन्वर्ट करने से मार्केट रेट पर कॉल चार्ज न लगकर लोकल कॉल का चार्ज लगता है। खास बात ये भी है कि इस सिम बॉक्स से एक साथ 50 हजार लोगों को मैसेज भेजा जा सकता है।

सिम बॉक्स व हजारों सिम कार्ड के इस्तेमाल के टेरर कनेक्शन की जांच में रांची पुलिस व एटीएस की टीम जुट गई है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आ रही है कि रैकेट का नेटवर्क दुबई, श्रीलंका, अफगानिस्तान व पाकिस्तान से जुडा हो सकता है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सिम बॉक्स की मदद से विदेश से आनेवाले फोन कॉल को स्थानीय नंबरों पर डायवर्ट किया जा सकता है। पुलिस की जांच में जो बातें सामने आ रही हैं, उसके मुताबिक, गिरोह के मास्टरमाइंड जावेद अहमद ने दिल्ली में भी अपना सेंटर बनाया है।  

बिहार-झारखंड से सिमी व इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के तार पूर्व से जुडे रहे हैं। झारखंड के एक दर्जन से अधिक युवा देश के अलग-अलग जेलों में आतंकी वारदातों में बंद हैं। रांची में इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल के होने का खुलासा पूर्व में एनआईए व एटीएस गुजरात ने किया था। एर्नाकूलम धमाके में रांची के मंजर इमाम व दानिश रियाज को सात साल की सजा हुई है। आतंकी भटकल बंधु, तहसीन अख्तर, हैदर उर्फ ब्लैक ब्यूटी भी रांची में शरण ले चुके हैं। पटना व बोधगया ब्लास्ट में रांची के ही इम्तियाज अंसारी समेत अन्य की संलिप्तता रही है।  विशेष शाखा ने बीते एक माह में 350 से अधिक संदिग्ध नंबरों की सूची तैयार की थी। इन नंबरों से कई लोगों को ठगी के लिए कॉल गए थे। एक ही सीरीज के नंबरों की जांच के दौरान कई अहम तथ्य सामने आए। रांची पुलिस के वरीय अधिकारियों ने देर रात तक दो संदिग्धों से कोतवाली थाने में पूछताछ कर रही है। रांची पुलिस ने संदिग्धों से सिम कार्ड इश्यू कराने से लेकर तमाम गतिविधियों के बारे में पूछताछ कर रही है। पुलिस अधिकारी आतंकी नेटवर्क से जोडकर भी इस मामले की जांच कर रहे हैं। एटीएस रांची पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में अब तक इस मामले में 12 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सभी को गुप्त स्थान पर रखकर पूछताछ की जा रही है।

रांची एसएसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि मामला काफी गंभीर है और देश की सुरक्षा से जुडा हुआ है। इस मामले में जितने भी लोग शामिल हैं उनकी गिरफ्तारी जरूरी है। इसीलिए पुलिस इस मामले में गुप्त तरीके से काम कर रही है। एसएसपी ने यह स्वीकार किया है कि साइबर अपराधियों के एक बडे गिरोह पर शिकंजा कसा जा रहा है और फिलहाल अभी भी छापेमारी जारी है। छापेमारी का नेतृत्व सिटी एसपी अमन कुमार और एटीएस एसपी पी मुरूगन कर रहे थे। पुलिस इस मामले में भी जांच कर रही है कि कहीं ये मामला आतंकी गतिविधियों से जुडा तो नहीं है?

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