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बिहार विधानसभा से पास हुआ एससी- एसटी को संसदीय व्यवसथा में दस साल के लिए आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव

By एस पी सिन्हा | Updated: January 13, 2020 20:31 IST

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसदीय व्यवस्था में एससी-एसटी आरक्षण को 10 साल बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसपर सभी दल के नेताओं ने अपनी बात रखी और फिर इस प्रस्ताव को सदन में मंजूर कर दिया गया.

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ठळक मुद्देमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआरसी को लेकर स्पष्ट रूप से कहा कि एनआरसी का बिहार में कोई सवाल ही नहीं है. एनआरसी का पूरे देश में औचित्य ही नहीं है.

बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों के बुलाये गये एक दिन के विशेष सत्र में आज विपक्ष के सीएए और एनआरसी को लेकर हंगामे के बीच में एससी- एसटी को संसदीय व्यवसथा में दस साल के लिए आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. मुख्यमंत्री ने इस बिल पर समर्थन के लिए सबको धन्यवाद दिया. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने 126वें संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से स्वीकृत होने की घोषणा की. 

बता दें कि संसद के दोनों सदनों ने पिछले सत्र में मंजूरी दी थी. इस मौके पर सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआरसी को लेकर स्पष्ट रूप से कहा कि एनआरसी का बिहार में कोई सवाल ही नहीं है. एनआरसी तो केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने असम के लिए ले आई थी. एनआरसी का पूरे देश में औचित्य ही नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस संबंध में बोल चुके हैं. एनआरसी की बात असम के संदर्भ में थी. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसदीय व्यवस्था में एससी-एसटी आरक्षण को 10 साल बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसपर सभी दल के नेताओं ने अपनी बात रखी और फिर इस प्रस्ताव को सदन में मंजूर कर दिया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए पर भी हम विशेष रूप से चर्चा करेंगे. 

उन्होंने कहा कि एनआरसी का सवाल नहीं, इसका अभी कोई औचित्य ही नहीं है तो बेवजह इसे लेकर हंगामा किया जा रहा है. इसके बावजूद यदि सभी चाहेंगे तो सदन में इस पर भी चर्चा होगी. साथ ही मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा जातीय जनगणना के संबंध में उठाये गये सवाल पर कहा कि जातीय जनगणना के पक्षधर हमलोग भी हैं. जातीय जनगणना जरूर होनी चाहिए. साल 1930 में आखिरी बार जातीय जनगणना हुई थी. उसके बाद कभी नहीं हुई. 

मुख्यमंत्री ने सदन में जन-जीवन-हरियाली अभियान के संबंध में कहा कि अभी यह योजना की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है. जिन लोगों को हटाया जा रहा है, वे गरीब लोग हैं, उन्हें अन्य जगहों पर बसाया जायेगा. मुख्यमंत्री ने एससी-एसटी आरक्षण अगले दस वर्षों के लिए बढ़ाने को लेकर सभी दलों द्वारा समर्थन दिये जाने पर सभी दलों के नेताओं को धन्यवाद भी दिया. इससे पहले नीतीश कुमार के सदन पहुंचने पर बुके देकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया.

मुख्यमंत्री के एससी-एसटी को संसदीय व्यवस्था में आरक्षण को 10 साल बढ़ाने के प्रस्ताव पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि आरक्षण की वजह से लोग विधानसभा-लोकसभा में आएंगे, जो अच्छा प्रस्ताव था. इसीलिए जरूरत के मुताबिक आरक्षण बनाए रखना होगा. अंतिम तबके के लाभान्वित होने पर ही आरक्षण खत्म होगा. उन्होंने कहा कि समाज मे जबतक भेदभाव है, आरक्षण रहेगा. 

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध प्रकट करते हुए कहा कि ये कौन-सा कानून है कि हमें अब अपने नागरिक होने का सबूत देना होगा. हम एनआरसी-एनपीआर को बिहार में कभी लागू नहीं होने देंगे. 

उन्होंने कहा कि इस मामले पर मुख्यमंत्री किसका समर्थन करेंगे, इसे भी मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए और अपना वक्तव्य देना चाहिए. तेजस्वी ने कहा कि बिहार और केंद्र सरकार के मंत्री के बयान में अंतर है और तो और जदयू में एनआरसी-एनपीआर को लेकर गतिरोध चल रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री को स्पष्ट कर देना चाहिए कि वो पक्ष में हैं या विरोध में? 

खासे आक्रामक दिखे तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर अभी तक आपका आधिकारिक बयान क्यों नहीं आया? इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी भी कीमत पर एनआरसी और सीएए लागू नहीं होने देंगे. हमें इसके लिए अपना खून भी देना पड़ेगा तो हम तैयार हैं.

नीतीश कुमार पर चुटकी लेते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीएए और एनआरसी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पवन वर्मा जी की बात मानेंगे या फिर ललन सिंह का पता नहीं जी. जब हम नीतीश जी के बगल में बैठते थे तो वो कहते थे आरएसएस बहुत खतरनाक है और अब आगे की लड़ाई आप लोगों को ही लड़ना है. नीतीश जी पहले यह बात मुझ से कहते थे और आज कल यही बात चिराग पासवान से कहते हैं. 

तेजस्वी यादव ने सुशील मोदी पर भी हमला बोला और कहा कि सुशील कुमार मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की या फिर अमित शाह किसकी बात मानते हैं ये पता नहीं है. क्या हमें देश के नागरिक होने का सबूत देना होगा. तेजस्वी ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर संविधान विरोधी काम नहीं होने देंगे. इससे पहले सदन के विशेष सत्र में शामिल होने तेजस्वी और तेजप्रताप यादव एक साथ पहुंचे.

सदन में एससी-एसटी आरक्षण सर्व सम्मति से स्वीकृत किये जाने के बाद बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में शोक प्रस्ताव पेश किया. इसके बाद सदन के सदस्यों ने मौन रह कर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. 

टॅग्स :नीतीश कुमारबिहारआरजेडीजेडीयूभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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