Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) को लेकर सियासी घमासान तेज होता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित करने की “साजिश” करार दिया है। महागठबंधन की ओर से शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने दावा किया कि यह सब प्रधानमंत्री और भाजपा के इशारे पर हो रहा है, और इस बार बिहार से “आर-पार की लड़ाई” लड़ी जाएगी। इस दौरान विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता दल शकील अहमद खान और कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह मौजूद थे।
तेजस्वी यादव ने कहा कि आयोग का दावा है कि राज्य में 80 फीसदी फॉर्म जमा हो चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। उन्होंने कहा कि ईसी कह रहा है कि 80 फीसदी फॉर्म भर दिए गए हैं, लेकिन हमारे इलाके में तो फॉर्म अब तक जमा नहीं हुए हैं। कई जगहों पर फॉर्म सड़क पर फेंके हुए मिल रहे हैं। कहीं उन पर जलेबी बिक रही है। ये कैसा पुनरीक्षण है?”
उन्होंने ईसी की प्रक्रिया को “ग़ैर पारदर्शी” और “आई वॉश” करार देते हुए कहा कि सर्वर बार-बार डाउन हो रहा है, ओटीपी की समस्या आ रही है। लेकिन इन तकनीकी शिकायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि न तो बीएलओे को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं और न ही मतदाताओं को यह बताया गया कि वे दस्तावेज बाद में भी दे सकते हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने एक वीडियो जारी किया, जिसमें एक फ्लाईओवर पर मतदाता सूची के फॉर्म खुले में पड़े हुए दिखाई दे रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने एक अखबार की तस्वीर भी प्रस्तुत की, जिसमें देवघर में एक जलेबी वाले के पास ऐसे ही फॉर्म पहुंचने की खबर प्रकाशित हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पटना के गांधी मैदान में भी ये फॉर्म फेंके जा रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को इस स्थिति पर स्पष्टीकरण देना चाहिए, क्योंकि उसके प्रवेश सूची और दस्तावेजों में विरोधाभास दिख रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के सुझावों को भी नहीं माना है और मतदाता सूची में कोई संशोधन नहीं किया है।
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर शिकायतों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) पर अव्यवहारिक टारगेट का दबाव डाला जा रहा है, ताकि गरीब, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोटरों के नाम सूची से हटाए जा सकें।
तेजस्वी यादव ने संभावित प्रभावों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर एक प्रतिशत हमारे मतदाता भी छूट जाएं तो करीब 7 लाख 90 हजार मतदाताओं का वोट कट जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3,251 मतदाताओं के वोट कट सकते हैं, यदि बिहार में 1 फीसदी मतदाताओं का भी सत्यापन नहीं हुआ।
तेजस्वी ने पिछली बार के विधानसभा चुनावों का हवाला दिया, जहां 52 सीटों पर हार-जीत का अंतर 5,000 वोटों से भी कम था। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि जिन मतदाताओं के नाम सूची से काटे जाएंगे, वे अक्सर वे लोग होंगे जो रोज़गार या अन्य कारणों से बिहार से बाहर रह रहे हैं। तेजस्वी यादव ने सवाल किया कि कहीं, अमित शाह या मोदी जी के कहने पर मतदाताओं का नाम काटा जा रहा है? उन्होंने दृढ़ता से कहा कि आप रोटी छीन सकते हैं, लेकिन वोट का अधिकार नहीं छीन सकते।