बिहार विधानसभा चुनाव 2025ः ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ शुरू?, कन्हैया कुमार की पदयात्रा से तेजस्वी यादव-राजद परेशान

By एस पी सिन्हा | Updated: March 17, 2025 14:13 IST2025-03-17T14:12:03+5:302025-03-17T14:13:34+5:30

Bihar Assembly Elections 2025: कन्हैया कुमार ने भी रविवार से ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ शुरू कर दी है। इससे राजद की चिंता बढ़ गई है।

Bihar Assembly Elections 2025 Palayan roko, Naukri do Tejashwi Yadav-RJD upset Kanhaiya Kumar padayatra | बिहार विधानसभा चुनाव 2025ः ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ शुरू?, कन्हैया कुमार की पदयात्रा से तेजस्वी यादव-राजद परेशान

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Highlightsकन्हैया कुमार को बिहार भेज कर कांग्रेस ने तेजस्वी की परेशानी बढ़ा दी है।कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावुरु को मैदान में उतार दिया है।कांग्रेस महागठबंधन सरकार के कार्यकाल हुए फैसलों पर सवाल उठा चुकी है।

पटनाः बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दांव और समीकरण अभी से सेट किए जाने लगे हैं। प्रदेश में अपनी खोए जनाधार को वापस पाने के लिए कांग्रेस पार्टी अब किसी पर निर्भर रहने की बजाय आत्मनिर्भर बनने की कवायद में है। इसके लिए पार्टी ने अपनी युवा इकाई यानी कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावुरु को मैदान में उतार दिया है। कन्हैया कुमार ने भी रविवार से ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ शुरू कर दी है। इससे राजद की चिंता बढ़ गई है। कन्हैया कुमार को बिहार भेज कर कांग्रेस ने तेजस्वी की परेशानी बढ़ा दी है।

 

दरअसल, महागठबंधन में रहते हुए कांग्रेस महागठबंधन सरकार के कार्यकाल हुए फैसलों पर सवाल उठा चुकी है। हालांकि राहुल गांधी पटना आए तो लालू यादव से मुलाकात करने उनके घर गए। लेकिन उनके ही करीबी कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारु ने बिहार में महीने भर रहने के बावजूद लालू यादव से मिलना मुनासिब नहीं समझा।

जबकि लालू यादव का सोनिया गांधी से काफी नजदीकी है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था कि कोई बिहार में कांग्रेस को संभालने आए और लालू दरबार में माथा नहीं टेकता हो। यहां तक कि जिस भक्त चरण दास का लालू ने ’भकचोन्हर दास’ नामकरण किया था, वे भी उनसे मिलने में प्रभारी रहते संकोच नहीं करते थे। प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह पर भी लालू का करीबी होने का आरोप लगता रहा है।

फिलहाल कांग्रेस में वे हाशिए पर हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने जिस तरह नजरें पलट ली है, उससे ऐसा लगता है कि वह तेजस्वी की एनडीए या दूसरे दलों से भी बड़ी दुश्मन बनने से परहेज नहीं करेगी। उल्लेखनीय है कि बिहार में कांग्रेस पार्टी अभी तक राजद के पीछे खड़े होकर राजनीति कर रही थी।


लेकिन लालू यादव और तेजस्वी यादव ने जब से राहुल गांधी को इंडिया ब्लॉक की कप्तानी से हटाने की सिफारिश की, तभी से दोनों दलों के बीच काफी मनमुटाव देखने को मिल रहा है। इस मुद्दे पर दलों के बीच काफी तीखी बयानबाजी देखने को मिल चुकी है। इस दौरान राहुल गांधी दो बार बिहार आए और दोनों बार लालू परिवार से मुलाकात की।

लेकिन दोनों बार राजद को फंसाने वाले बयान देकर वापस गए। अब राजद को जवाब देने के लिए ही कांग्रेस पार्टी ने कन्हैया कुमार को बिहार में उतारा है। वैसे भी लालू परिवार के दबाव में ही कन्हैया कुमार को दिल्ली ट्रांसफर किया गया था। हालांकि जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कन्हैया कुमार को बिहार में सक्रिय करना पार्टी को फायदा की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है।

राजनीति के जानकार बताते हैं कि कन्हैया कुमार के आने से बिहार कांग्रेस दो खेमो में बंट गई है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, कन्हैया कुमार, पप्पू यादव अभी एक कैंप में हैं और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह दूसरे कैंप में। अखिलेश प्रसाद का गुट राजद से रिश्ता रखने के समर्थन में है, जबकि कन्हैया कुमार का गुट अब एकला चलो की नीति पर काम करना चाहता है।

बिहार में कांग्रेस पार्टी 90 के दशक से राजद के सहारे ही राजनीति कर रही है। अब अचानक से राजद से अलग होकर चुनावी मैदान में कूदना खुदकुशी के बराबर हो सकता है। अगर कांग्रेस और राजद का गठबंधन किसी कारण टूटा तो फिर बिहार में नया समीकरण बनेगा। अकेले अपने दम पर लड़कर जीतना बिहार में किसी दल के लिए आसान नहीं है।

प्रशांत किशोर जिस वोट बैंक के आधार पर राजनीति कर रहे हैं.।कांग्रेस का आधार भी अकेले होने पर वही होगा। ऐसे में इन दोनों के बीच एक समीकरण पनप सकता है। वहीं दूसरी ओर कन्हैया कुमार तो अपनी पदयात्रा के पहले बयान में ही घिर गए हैं। वह नौकरी-रोजगार पर बोलते-बोलते अचानक से हनीमून की बातें करने लगे।

पदयात्रा में एनडीए सरकार पर हमला करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि यहां की जनता को न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है, बल्कि हनीमून मनाने तक के लिए भी दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। चूंकि कांग्रेस पार्टी कन्हैया कुमार को प्रमोट कर रही है तो उनकी हर बात में 'बाल की खाल' निकाली जाएगी। ऐसे में सियासी जानकारों का तो यह भी कहना है कि कन्हैया कुमार की पदयात्रा कहीं कांग्रेस पार्टी को पैदल ना कर दे।

Web Title: Bihar Assembly Elections 2025 Palayan roko, Naukri do Tejashwi Yadav-RJD upset Kanhaiya Kumar padayatra

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