Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सूबे में अपनी खोई जमीन को पाने के प्रयास में लगी कांग्रेस की हालत बद से बदतर हो गई है। कांग्रेस के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर तनाव खुलकर बाहर आ गया है। पार्टी के कई नेता खुले मंच से प्रदेश में कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लवरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम पर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि टिकट बंटवारे में धांधली की गई है और पैसे के बदले टिकट दिए गए हैं। कांग्रेस में रिसर्च सेल के अध्यक्ष और प्रवक्ता रहे आनंद माधवन ने यहां तक कहा कि बिहार चुनाव में कांग्रेस डबल डिजिट तक भी नहीं पहुंच पाएगी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति को नए सिरे से मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है।
सीट और फिर टिकट बंटवारे के बाद पार्टी नेताओं के बीच फैली असंतोष और नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी डैमेज कंट्रोल मोड में आ गई है। इसके लिए संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल शनिवार को देर शाम पटना पहुंचे। उनके साथ बिहार चुनाव के वरीय पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, स्क्रीनिंग कमेटी अध्यक्ष अजय माकन भी आए हुए हैं। कांग्रेस के तीनों वरीय नेताओं ने गर्दनीबाग स्थित वार रूम में शनिवार देर रात तक बैठक की। जिला पर्यवेक्षकों से फीडबैक लिया। इससे पहले प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के विरोध को देखते हुए डैमेज कंट्रोल की दिशा में पार्टी ने अविनाश पांडेय को चुनाव समन्वय की जिम्मेवारी सौंपी है।
कई वरीय नेताओं ने उनपर टिकट चोरी का आरोप लगाया है। एसआईसीसी चीफ नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर संजीव सिंह को भी पार्टी ने पटना भेजा है। टिकट बंटवारे के बाद हो रहे विरोध के चलते प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु सदाकत आश्रम नहीं जा रहे हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और विधानमंडल दल नेता शकील अहमद खान चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश कमेटी अभी बनी नहीं हैं।
उधर, बिहार चुनाव के लिए बनाए गए वरीय पर्यवेक्षक भी ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। बिहार चुनाव में बमुश्किल अब दो हफ्ते का वक्त रह गया है। ऐसे पार्टी नहीं चाहती है किसी तरह का कोई गतिरोध हो। इससे पहले भी अशोक गहलोत पटना आए थे, लेकिन महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चले गए थे। बता दें कि टिकट से वंचित रहने वाले नेताओं ने एक पत्रकार वार्ता कर कहा कि कांग्रेस में जो कुछ भी हुआ है उसका परिणाम भी पार्टी को ही भुगतना पड़ेगा। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधव ने रिसर्च सेल से अपना इस्तीफा भी दे दिया। उनके साथ मंच पर पूर्व विधायक गजानंद शाही, छत्रपति यादव, नागेंद्र प्रसाद, रंजन सिंह, बच्चू प्रसाद, राजकुमार राजन, बंटी चौधरी और कई अन्य नेता भी थे।
उल्लेखनीय है कि छत्रपति यादव को इस बार खगड़िया से टिकट नहीं दिया गया है, जबकि वह इस सीट से विधायक थे। उनकी जगह एआईसीसी सचिव चंदन यादव चुनाव लड रहे हैं। 2020 में चंदन बेलदौर सीट से जदयू प्रत्याशी के आगे हार गए थे। महागठबंधन के घटक दल राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा-माले और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने कई सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं।
ऐसे में महागठबंधन के घटक दलों में तालमेल के अभाव में "फ्रेंडली फाइट" के हालात उत्पन्न हो गए हैं, क्योंकि महा गठबंधन के उम्मीदवारों ने अपने तीर का तरकश एक दूसरे की तरफ तान दिया है। रनणीतिक विफलता के कारण कांग्रेस को सीटों के बंटवारे में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा, 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के हिस्से में इस बार केवल 61 सीटें आईं। पार्टी को दो मौजूदा सीटें, महाराजगंज और जमालपुर भी गंवानी पड़ीं, जहां उसके सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं मिला।
इसतरह से उसे कोई बड़ी नई सीट नहीं मिली। गौरतलब है कि तेजस्वी यादव के साथ राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी, लेकिन अचानक ही बिहार चुनाव से दूरी बना ली है। जब सीट बंटवारे का मौका आया, तब राजद और कांग्रेस के बीच खींचतान चली, तो राहुल गांधी नदारद रहे। इधर कांग्रेस के उम्मीदवार दिल्ली जाकर आलाकमान और राहुल गांधी के दफ्तर पहुंचकर बिहार में चुनाव प्रचार के लिए बुलाने की अर्जी लगा चुके हैं। उधर, राहुल गांधी की अनुपस्थिति की वजह से बिहार के स्थानीय नेताओं में असमंजस की स्थिति है। महागठबंधन के एक से ज्यादा उम्मीदवारों का एक ही सीट पर लड़ना, वोट बंटवारे का कारण बनेगा, जिससे एनडी को करीबी मुकाबलों में निर्णायक बढ़त मिल सकती है।