बिहार: आजीविका के लिए 74 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर, सूबे में महज 15 फीसदी है हरित पट्टी

By एस पी सिन्हा | Published: October 18, 2023 04:33 PM2023-10-18T16:33:18+5:302023-10-18T16:41:32+5:30

बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य है। राज्य में आज भी 74 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है।

Bihar: 74 percent people depend on agriculture for livelihood, there is only 15 percent green belt in the state | बिहार: आजीविका के लिए 74 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर, सूबे में महज 15 फीसदी है हरित पट्टी

बिहार: आजीविका के लिए 74 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर, सूबे में महज 15 फीसदी है हरित पट्टी

Highlightsबिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य हैराज्य के जीडीपी में कृषि का करीब 19 से 20 फीसदी का योगदान हैबिहार में पशुधन का करीब 6 फीसदी योगदान है

पटना: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार के चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ कर दिया है। बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य है। राज्य में आज भी 74 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है। राज्य के जीडीपी में कृषि का करीब 19 से 20 फीसदी योगदान। पशुधन का करीब 6 फीसदी योगदान है। सबको देखते हुए नीतीश ने कृषि रोड मैप लाने का फैसला लिया।

इस चौथे कृषि मैप के जरिए टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया है। बाजार के लिए किसानों को तकनीक से जोड़ा जाना है। साथ ही पर्यावरण फ्रेंडली कृषि के अलावा कम जल में खेती कैसे हो और वाणिज्यिक खेती के लिए किसान कैसे उत्साहित हो? इसके लिए सरकार ने नीति बनाई है। इसके माध्यम से बिहार में कृषि के आधुनिकीकरण के अलावे उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।

बता दें कि नीतीश सरकार ने पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की उसके बाद चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली। पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश हुई थी। चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली। पहला कृषि रोडमैप का बजट आकार बेहद छोटा था।

उल्लेखनीय है कि नीतीश सरकार का पहला कृषि रोड मैप 2008 से 2012 तक, दूसरा कृषि रोडमैप साल 2012 से 2017 तक और तीसरा कृषि रोडमैप साल 2017 से 2023 तक था। अब चौथा कृषि रोड मैप 2023 से 2028 तक का शुभारंभ आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया। कृषि रोड मैप में कृषि विभाग के अलावा पशु एवं मत्स्य संसाधन, सहकारिता, उद्योग, लघु जल संसाधन, जल संसाधन, ऊर्जा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, राजस्व एवं भूमि सुधार, ग्रामीण कार्य, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण और गन्ना उद्योग यानी कुल 12 विभाग इसमें शामिल हैं।

आपको बता दें कि कृषि रोड मैप शुरू होने के बाद से बिहार सरकार को अब तक 5 कर्मण पुरस्कार मिल चुके हैं। वहीं, दूसरा कृषि रोड मैप 2012 में लागू किया गया। उसके लिए 2011 में नीतीश सरकार ने 18 विभागों को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया था।बिहार को दूसरे किसी रोड मैप में कई पुरस्कार भी मिले। 2012 में चावल उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला।

साल 2013 में गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार मिला। 2016 में मक्का के उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार। उसके बाद तीसरा कृषि रोडमैप 2017 में लागू किया गया। कोरोना काल के कारण रोडमैप को एक साल बढ़ाया गया। तीसरे कृषि रोड मैप में ऑर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया। किसानों को खेतों तक बिजली पहुंचाने में सरकार सफल रही।

इसमें बिहार में हरित पट्टी बढ़ाने पर जोर दिया गया। राज्य में फिलहाल 15 प्रतिशत हरित पट्टी है। हालांकि, सरकार ने हर खेत तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा। अब तक हर खेत तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। 2025 तक हर खेत तक पानी पहुंचाने का वादा किया गया है।

Web Title: Bihar: 74 percent people depend on agriculture for livelihood, there is only 15 percent green belt in the state

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