भोपाल बीआरटीएस होगा खत्म
बीआरटीएस कॉरिडोर बन जाने के कारण सिर्फ सिटी बस, एंबुलेंस और वीआईपी गाड़ी की आवाजाही होती थी। बीआरटीएस कॉरिडोर कई जगह पर खाली रहता था और उसके आसपास लंबा ट्रैफिक जाम के हालात हो जाते थे।
2011 में 247 करोड़ से बीआरटीएस कॉरिडोर प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी इस प्रोजेक्ट पर अब तक 500 करोड रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। बीआरटीएस कॉरिडोर के बन जाने के बाद ट्रैफिक जाम के बनते हालातो को लेकर कई बार कॉरिडोर को खत्म किए जाने को लेकर चर्चा हुई। लेकिन मोहन यादव ने राजधानी के विकास को लेकर आज अपनी पहली बैठक में बड़ा फैसला करते हुए बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने के आदेश जारी कर दिए। बीआरटीएस की लंबाई के तहत अलग-अलग हिस्सों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का काम किया होगा। सरकार के इस फैसले से व्यस्त मार्गों पर यह ट्रैफिक का दबाव कम होगा और परिवहन आसान बनेगा।
बीआरटीएस की जगह सेंट्रल रोड डिवाइडर बनेगा
बैठक में तय हुआ कि बीआरटीएस की जगह पर सेंट्रल रोड डिवाइडर बनाया जाए। बीआरटीएस के कई हिस्सों में डेडीकेटेड कॉरिडोर और दूसरे हिस्सों में वाहनों की आवाजाही से जुड़े मामलों को लेकर भी चर्चा हुई।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी मांगी थी तकनीकी रिपोर्ट
कांग्रेस सरकार में भी तकनीकी सलाहकारों से बीआरटीएस कारीडोर को खत्म किए जाने को लेकर लिया गया था सुझाव। तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने को लेकर तकनीकी जानकारी से रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन लंबे समय से भोपाल के लोग इसकी मांग कर रहे थे कि कॉरिडोर को खत्म कर ट्रैफिक को आसान बनाया जाए। मोहन सरकार ने आज भोपाल के लोगों की मांग को पूरा करते हुए बड़ा फैसला लिया है। इससे भोपाल की 25 लाख से ज्यादा की आबादी को फायदा होगा।