नई दिल्ली, 09 अप्रैलः एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आवाह्न किया था। अब 10 अप्रैल को सवर्णों ने भारत बंद का आवाह्न किया है। पिछले भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। इसे देखते हुए इस बार सरकार अलर्ट है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवायजरी जारी की है। गृहमंत्रालय ने कहा है कि किसी भी इलाके में होने वाली हिंसा के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जिम्मेदार होंगे। बंद के आवाह्न को देखते हुए मध्य प्रदेश प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। यह भी पढ़ेंः- एससी/एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज दलितों का भारत बंद, सरकार दायर करेगी पुनर्विचार याचिका
10 बिंदुओं में समझिए इस पूरे मामले की स्पष्ट तस्वीरः-
1. 10 अप्रैल को जनरल और ओबीसी संगठनों द्वारा भारत बंद की मांग करते हुए पोस्ट और मैसेज वायरल हो रहे हैं। इनमें ‘आरक्षण हटाओ’ की मांग करते हुए देशभर में किए जा रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है।
2. विगत 2 अप्रैल को देशभर में कुछ दलित संगठनों द्वारा भारत बंद का आयोजन किया गया, जिसमें व्यापक हिंसा हुई और एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
3. भोपाल में धारा 144 लागू कर दी गई है। स्कूल खुले रहेंगे। 6 हजार अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। भोपाल पुलिस कमिश्नर अजातशत्रु श्रीवास्तव ने बताया कि सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। किसी भी अफवाह पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
4. 10 अप्रैल को भारत बंद की खबरों के बीच, हापुड़ के जिलाधिकारी ने अडवाइज़री जारी करते हुए कहा है कि आज शाम से लेकर कल शाम 6 बजे तक शहर में इंटरनेट सेवा ठप रहेगी।
5. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी सरकार में दलित समुदाय पूरी तरफ सुरक्षित है। जैसे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहते हैं कि हम 'सबका साथ सबका विकास' में भरोसा करते हैं। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है तो वो बनाना चाहते हैं।
6. भारत बंद को देखते हुए राजस्थान के अलवर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। गृह मंत्रालय की एडवायजरी का कड़ाई से पालन हो रहा है।
7. धारा-144 के प्रभावी होने से 5 या उससे अधिक व्यक्तियों के एक स्थान पर एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही कोई भी व्यक्ति या संगठन संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी की अनुमति के बगैर कहीं पर भी रैली, धरना, प्रदर्शन का आयोजन नहीं कर सकेगा।
8. इसी प्रकार सोशल मीडिया व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्वीटर के माध्यम से धार्मिक, जातीय विद्वेश फैलाने वाले संदेश पोस्ट करने, लाइक करने एवं फारवर्ड करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध भी कार्रवाई करने के आदेश दिये गये है। जो कोई भी व्यक्ति धारा-144 का उल्लंधन करेगा या सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में अशांति फैलाने का कार्य करेगा उसके विरूद्ध भादंवि की धारा-188 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जायेगा।
9. सभी अनुविभागीय दंडाधिकारी एवं थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले और समाज की शांति भंग करने वाले मैसेज पोस्ट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने कहा गया है।
10. अधिकारी ने कहा, ‘‘एमएचए ने सभी राज्यों को किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिये सुरक्षा बढ़ाने और उचित इंतजाम करने को कहा है। आवश्यक हो तो निषेधाज्ञा भी लगाई जा सकती है।’’ राज्यों से सभी संवेदनशील जगहों पर गश्त तेज करने को कहा गया है जिससे जानमाल के किसी भी नुकसान को रोका जा सके।
क्या है पूरा मामला?
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में एक फैसला सुनाते हुए तत्कार गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आवाह्न किया। बंद के दौरान हिंसा में एक दर्जन लोगों की मौत हो गई। 2 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर पोस्ट और संदेश वायरल हो रहे हैं जिसमें आरक्षण विरोधी संगठन भारत बंद का आवाह्न कर रहे हैं।