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बिहार: भागलपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के शाहनवाज हुसैन की उम्मीदवारी पर संशय, जेडीयू ने भी ठोका है दावा

By एस पी सिन्हा | Updated: March 13, 2019 15:38 IST

भागलपुर, बांका, किशनगंज, कटिहार और पूर्णियां लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होना है लेकिन अब तक किसी भी पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. एनडीए ने भी चुप्पी साध रखी है.

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पटना, 13 मार्चः भागलपुर लोकसभा सीट से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैय्यद शहनवाज हुसैन पर संशय बरकरार है. इसका कारण यह है कि जेडीयू ने भी इस सीट पर अपनी दावेदारी का दावा ठोंका है. भागलपुर, बांका, किशनगंज, कटिहार और पूर्णियां लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होना है लेकिन अब तक किसी भी पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. एनडीए ने भी चुप्पी साध रखी है.

इस सीट पर जदयू के दावे के बाद स्थितियां थोड़ी बदल गई हैं. एक तरफ जदयू ने अंदर ही अंदर इस सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है तो दूसरी तरफ भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन और पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता देख यह कहना थोड़ा मुश्किल हो रहा कि यह सीट किसके खाते में जायेगी. वहीं, यह भी माना जा रहा है कि महागठबंधन से राजद का प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा क्योंकि यह राजद की सिटिंग सीट है. 2014 में राजद ने इस सीट पर कब्जा जमाया था. भागलपुर में सबसे अधिक 6 बार कांग्रेस इस सीट पर कब्जा जमा चुकी है. कांग्रेस इस सीट से अंतिम बार 1984 में चुनाव जीती है. यहां से भाजपा के उम्मीदवार चार बार चुनाव जीते हैं.

भागलपुर लोकसभा सीटः राजनैतिक इतिहास

1998 में प्रभाष चंद्र तिवारी ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल कर भाजपा को यह सीट दी थी. ठीक एक वर्ष के बाद 1999 में हुए चुनाव में माकपा के सुबोध राय ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी. फिर 2004 में यह सीट सुशील कुमार मोदी ने भाजपा को वापस दिलाई. उसके बाद 2006 में उपचुनाव हुआ जिसमें सैय्यद शाहनवाज हुसैन ने यह सीट भाजपा को दी. 2009 के आम चुनाव में भी हुसैन ने यह सीट भाजपा को दी. 2014 के आमचुनाव में भाजपा से राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने यह सीट छीन ली. 

इसके पूर्व 1957 से 1971 तक हुए चुनाव में कांग्रेस की झोली में यह सीट रही. 1957 के चुनाव में बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला जीते. उसके बाद लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस के भागवत झा आजाद जीते. 1977 में जनता पार्टी के रामजी सिंह ने कांग्रेस से यह सीट छीनी. फिर 1980 और 1984 में कांग्रेस जीती. 1989 से 1996 तक लगातार हुए तीन चुनावों में जनता दल के चुनचुन प्रसाद यादव को सफलता मिली. 

भागलपुर लोकसभा सीटः टिकट पर संशय क्यों?

भागलपुर की सीट पर संशय इसलिए भी है क्योंकि बांका और भागलपुर में भाजपा के हिस्से एक सीट लग सकती है. दोनों सीट की बात की जाये तो 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों ही सीट पर भाजपा कम अंतर से चुनाव हारी थी. भागलपुर में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन राजद के बुलो मंडल से 9485 वोट से हार गये थे, जबकि बांका में राजद प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव ने भाजपा की पुतुल कुमारी को 10144 मतों से हराया था. 

उधर, राजद बुलो मंडल की ही जाति के नये उम्मीदवार की तलाश में है. लेकिन नया चेहरा सामने नहीं आने की वजह से बुलो मंडल की उम्मीदवारी राजद से तय मानी जा रही है. भागलपुर भाजपा की हारी हुई सीट है इसलिए यहां पार्टी का दावा थोड़ा कमजोर दिख रहा. यही वजह है कि जदयू ने इस सीट पर अपना दावा सामने रख दिया है. ऐसे में शहनवाज हुसैन के उम्मीदवारी को लेकर अभी संशय बरकरार है.

टॅग्स :लोकसभा चुनावबिहारभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)जेडीयू
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