2016-19: के बीच राजद्रोह के मामलों में 160 प्रतिशत वृद्धि हुयी : अधिकार वकील

By भाषा | Updated: July 15, 2021 23:38 IST2021-07-15T23:38:05+5:302021-07-15T23:38:05+5:30

Between 2016-19: 160 percent increase in sedition cases: Rights lawyer | 2016-19: के बीच राजद्रोह के मामलों में 160 प्रतिशत वृद्धि हुयी : अधिकार वकील

2016-19: के बीच राजद्रोह के मामलों में 160 प्रतिशत वृद्धि हुयी : अधिकार वकील

नयी दिल्ली, 15 जुलाई देश में 2016 से 2019 के बीच राजद्रोह के मामलों में 160 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2019 में ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर सिर्फ 3.3 प्रतिशत रही। यह जानकारी एक अधिकार वकील द्वारा आधिकारिक आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आयी है।

अधिकार वकील वृंदा ग्रोवर ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को हवाला दिया है। ये आकंड़े प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की एक पीठ की इस टिप्पणी के मद्देनजर अहम है कि राजद्रोह को लेकर औपनिवेशिक दौर के कानून का "भारी दुरुपयोग" हुआ है तथा ऐसे मामलों में सजा की दर बहुत कम है।

ग्रोवर ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते पीटीआई-भाषा को बताया कि राजद्रोह के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है और 2016 से 2019 के बीच ऐसे मामलों की संख्या 160 प्रतिशत बढ़ गई है। ऐसे मामलों में दोषसिद्ध के संबंध में उन्होंने कहा कि 2019 में राजद्रोह के 30 मामलों में फैसला हुआ जिनमें 29 में आरोपी बरी हो गए और एक में दोषसिद्धि हुयी और इसकी दर 3.3 प्रतिशत रही।

ग्रोवर से सहमति जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कहा कि ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर कम है क्योंकि ज्यादातर मामलों में कानून लागू करने का मूल सिद्धांत और कारक मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि संभव है कि अभियोजन पक्ष सबूत पेश नहीं करता हो या आरोपपत्र भी दाखिल नहीं करता क्योंकि उनका इरादा केवल किसी को जेल में रखना है। ऐसा नहीं है कि सरकार किसी को अनिवार्य रूप से सजा देना चाहती है। यह संदेश देने और असहमति को खत्म करने के लिए है।"

एमजेडएम लीगल फर्म में सीनियर पार्टनर और वकील मृणाल भारती ने कहा कि असंतोष को दबाने के लिए सरकार द्वारा मामले थोपे जाते हैं। वह राजद्रोह के मामलों का सामना कर रहे मीडिया हाउसों और पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि दर के काफी कम होने का कारण स्पष्ट है क्योंकि अपराध को साबित करने के लिए शायद ही कोई सामग्री होती है और इसके अलावा, पुलिस ऐसे मामलों की ठीक से जांच नहीं करती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Between 2016-19: 160 percent increase in sedition cases: Rights lawyer

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे