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Coronavirus News Updates: बेलूर मठ ने 16 मार्च से श्रद्धालुओं के बीच ‘भोग’ वितरण रोका, श्रीलंका में विशेष बौद्ध प्रार्थना

By भाषा | Updated: March 16, 2020 15:19 IST

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के अपने प्रयासों के तहत मठ ने यह कदम उठाया है। मंदिर में प्रार्थना के बाद श्रद्धालुओं के बीच बांटे जाने वाले भोजन को ‘भोग’ कहते हैं। बेलूर मठ के एक प्रवक्ता ने बताया कि अंतिम ‘भोग’ वितरण रविवार को 3,000 श्रद्धालुओं के बीच किया गया।

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ठळक मुद्देप्रवक्ता ने बताया कि रविवार की प्रार्थना के दौरान बार-बार घोषणा की गई कि ‘भोग’ का वितरण 16 मार्च से रोक दिया जाएगा।मिशन सुनिश्चित करेगा कि मंदिर के परिसर में भीड़ न लगे या दर्शन के बाद भी लोग घूमते-फिरते न रहें।

कोलकाताः रामकृष्ण मठ एवं मिशन के वैश्विक मुख्यालय बेलूर मठ ने श्रद्धालुओं के बीच ‘भोग’ वितरण को सोमवार को अनिश्चितकाल तक के लिए रोक दिया।

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के अपने प्रयासों के तहत मठ ने यह कदम उठाया है। मंदिर में प्रार्थना के बाद श्रद्धालुओं के बीच बांटे जाने वाले भोजन को ‘भोग’ कहते हैं। बेलूर मठ के एक प्रवक्ता ने बताया कि अंतिम ‘भोग’ वितरण रविवार को 3,000 श्रद्धालुओं के बीच किया गया।

उन्होंने कहा, “चूंकि भोग हमारी उच्च स्तरीय समिति के फैसला लेने से पहले कल ही तैयार कर लिया गया था, हमने हमारी प्राचीन परंपरा निभाई और श्रद्धालुओं को खाली हाथ नहीं जाने दिया।” प्रवक्ता ने कहा, “हालांकि आज से अनिश्चितकाल तक भोग नहीं बांटा जाएगा।”

प्रवक्ता ने बताया कि रविवार की प्रार्थना के दौरान बार-बार घोषणा की गई कि ‘भोग’ का वितरण 16 मार्च से रोक दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि रामकृष्ण मिशन श्रद्धालुओं के प्रवेश को भी नियमित करेगा। मिशन सुनिश्चित करेगा कि मंदिर के परिसर में भीड़ न लगे या दर्शन के बाद भी लोग घूमते-फिरते न रहें।

प्रवक्ता ने बताया कि नियमित अनुष्ठानों के अलावा अब से बेलूर मठ में कोई कार्यक्रम नहीं होगा। वहीं दक्षिणेश्वर काली मंदिर में प्रबंधन श्रद्धालुओं के आने के समय को घटाने की योजना बना रहा है। मंदिर न्यास की ओर से कुशल चौधरी ने यह जानकारी दी। 

दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच इससे निपटने के लिए श्रीलंका में एक सप्ताह के लिए बौद्ध प्रार्थना का आयोजन किया जा रहा है। दुनियाभर में अभी तक कोरोना वायरस के 1,69,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।

रविवार को श्रीलंका में इसके 11 मामलों की पुष्टि हो गई थी वहीं 137 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। शक्तिशाली असगिरिया पंथ के प्रमुख वर्कागोडा गनारतना ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ हमने एक सप्ताह के लिए 'रत्ना सूत्र' के पाठ का आयोजन किया है, जिसके माध्यम से हमें उम्मीद है कि सिर्फ श्रीलंका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को इस बीमारी से निपटने में मदद मिलेगी।’’

शीर्ष पुजारी ने कहा, ‘‘ पाठ कैंडी में पवित्र दंत अवशेष का मंदिर के पास 18 मार्च से शुरू होगा।’’ वैश्विक महामारी का रूप ले चुके इस वायरस से 135 से अधिक देशों में 1,69,000 से अधिक लोग संक्रमित हैं और इससे 6,500 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। यह वायरस पिछले साल दिसम्बर में चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ था। 

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