बेगूसराय से कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी बनी गठबंधन में रोड़ा, RJD को था उनके चुनाव जीतने की क्षमता पर संदेह

By भाषा | Published: March 31, 2019 04:57 PM2019-03-31T16:57:37+5:302019-03-31T16:57:37+5:30

राज्य सभा सांसद और राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि भाकपा-राजद के बीच गठबंधन नहीं हो सकता था क्योंकि राजद अपने उम्मीदवार तनवीर हसन की बेगूसराय में लोकप्रियता और उनके द्वारा किए गए कार्यों के मद्देनजर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थी।

begusarai loksabha seat: kanhaiya kumar mahagathbandhan rjd cpi alliance | बेगूसराय से कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी बनी गठबंधन में रोड़ा, RJD को था उनके चुनाव जीतने की क्षमता पर संदेह

बेगूसराय से कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी बनी गठबंधन में रोड़ा, RJD को था उनके चुनाव जीतने की क्षमता पर संदेह

बिहार में राजद और भाकपा के बीच लोकसभा चुनाव के लिये गठबंधन में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की बेगूसराय से उम्मीदवारी रोड़ा बनी है क्योंकि लालू यादव के नेतृत्व वाले राजद को कन्हैया से जुड़े कई विवादों के चलते उनके चुनाव जीतने की क्षमता पर संदेह था।

राज्य सभा सांसद और राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि भाकपा-राजद के बीच गठबंधन नहीं हो सकता था क्योंकि राजद अपने उम्मीदवार तनवीर हसन की बेगूसराय में लोकप्रियता और उनके द्वारा किए गए कार्यों के मद्देनजर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थी।

उन्होंने कहा, "राजद बहुत मजबूत ताकत रही है। 2014 के चुनावों में तथाकथित मोदी लहर में भी हमारे उम्मीदवार को लगभग चार लाख वोट मिले थे और तब से उन्होंने बेगूसराय कभी नहीं छोड़ा। तनवीर हसन की उम्मीदवारी को नजरंदाज करना हमारे लिए असंभव था। हमारा काडर मजबूत है जो तनवीर हसन को चाहता था। ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम नहीं कर सकते। सबकुछ हमारे कार्यकर्ताओं, लोगों पर निर्भर है। इसलिए, उनकी जगह किसी और को उम्मीदवार बनाना गठबंधन न होने की वजह बना।" 

2014 के लोकसभा चुनावों में हसन लगभग 55,000 मतों के अंतर से भाजपा के भोला सिंह से हारकर दूसरे स्थान पर रहे थे। भाकपा के राजेंद्र सिंह करीब 1.92 लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

गौरतलब है कि भाकपा की बिहार इकाई के सूत्रों के अनुसार पार्टी नेताओं के एक वर्ग में कन्हैया कुमार को नामित करने और गठबंधन पर समझौता करने को लेकर असंतोष था।

राजद्रोह मामले के समय कन्हैया के करीबी रहे लेकिन बाद में जेएनयू में राजद के छात्रसंघ की स्थापना में शामिल होने वाले जयंत जिज्ञासु ने कहा कि यह "कन्हैया कुमार के अहंकार और अज्ञानता का कारण था जो गठबंधन नहीं हुआ।" हालांकि कन्हैया ने फोन पर बार-बार संपर्क किये जाने के बाद भी गठबंधन नहीं को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। 

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