बालिग होने से पहले ही मां बन जाती हैं बिहार की 4 प्रतिशत लड़कियां

By एस पी सिन्हा | Published: August 27, 2018 07:46 PM2018-08-27T19:46:33+5:302018-08-27T20:09:01+5:30

पटना के शहरी व ग्रामीण इलाकों में सेक्स रेशियो, एजुकेशन, विवाह, गर्भ निरोधक तरीकों के इस्तेमाल आदि पर भी सर्वे किया गया था। 

Before becoming an adult, 4 percent girls in Bihar becomes mother | बालिग होने से पहले ही मां बन जाती हैं बिहार की 4 प्रतिशत लड़कियां

बालिग होने से पहले ही मां बन जाती हैं बिहार की 4 प्रतिशत लड़कियां

पटना, 27 अगस्त:बिहार में 4 प्रतिशत लड़कियां बालिग होने से पहले ही मां भी बन जाती हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यह सामने आया है कि पटना सहित पूरे बिहार में 18 फीसदी लड़कियों की शादी उनके बालिग होने से पहले ही कर दी जाती है और इसमें 4 प्रतिशत बालिग होने से पहले ही मां भी बन जाती  हैं। 

यह सर्वे 2016 व 2017 के बीच पूरे बिहार में किया गया था। इसमें पटना के शहरी व ग्रामीण इलाकों में सेक्स रेशियो, एजुकेशन, विवाह, गर्भ निरोधक तरीकों के इस्तेमाल आदि पर भी सर्वे किया गया था। इसके मुताबिक शहर क्षेत्र में 3 फीसदी, तो ग्रामीण क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत लड़कियां बालिग होने से पहले मां बन जाती हैं। वहीं सर्वे यह भी बात सामने आई है कि बिहार में जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की तमाम जिम्मेदारियां महिलाओं के कंधे पर ही डाली जा रही हैं। पटना सहित पूरे बिहार में नसबंदी के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच साल में यह आंकड़ा लगातार गिरता जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में महिला नसबंदी का प्रतिशत 20.8 व शहरी क्षेत्रों 27.8 प्रतिशत है तो वहीं पुरुषों का यह प्रतिशत मात्र 0.1 है। सूत्रों की माने तो इन दिनों नसबंदी कार्यक्रम को लक्ष्य से मुक्त कर दिया है। जिस कारण स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यही वजह है कि परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता कम देखने को मिल रही है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाये जा रहे नसबंदी कार्यक्रम में प्रदेश लगातार पिछड़ रहा है। पटना में पिछले एक साल में महज 28 पुरुषों व 1203 महिलाओं ने ही नसबंदी करवाई है। इसके अलावा मिनी लैप लगवाने वाली महिलाओं की संख्या 142 है। गर्भ निरोधक के तरीकों को इस्तेमाल करने में भी पुरुष महिलाओं से बहुत पीछे हैं।

नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ नीलू प्रसाद ने बताया है कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में महिलाओं की जागरूकता बढ़ी है। लेकिन पुरुषों में आज भी जागरूकता की कमी देखने को मिल रही है। डॉ नीलू प्रसव के आने लिए आने वाली प्रत्येक महिला को दो बच्चों के बीच तीन साल का गैप रखने और दूसरे बच्चे के बाद नसबंदी करवाने या कॉपर-टी लगवाने की सलाह देती हैं। उनका कहना है कि नसबंदी के मामले में पुरुष आगे आने से कतराते हैं और महिलाओं को ही आगे करते हैं।

सर्वे के अनुसार कॉपर टी लगवाने में शहरी क्षेत्र 2.3 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में मात्र 1.2 प्रतिशत महिलाओं मे इसमें अपनी सहमति प्रदान की। उसी तरह कंडोम के उपयोग में शहरी क्षेत्र 3.7 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में मात्र 1.8 प्रतिशत ने दिलचस्पी ली। वहीं, गर्भ निरोधक गोलियां का उपयोग शहरी क्षेत्र में 34.1 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 26.1 फीसदी महिलाओं ने किया। जबकि जागरूकता के मामले में शहरी क्षेत्र में 16.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 12.7 फीसदी महिलाओं ने दिलचस्पी ली। उसी तरह बच्चों में अंतर रखने के मामले में शहरी क्षेत्र में 9.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 10.3 फीसदी महिलाओं ने दिलचस्पी दिखाई।

Web Title: Before becoming an adult, 4 percent girls in Bihar becomes mother

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