सीबीआई की विशेष कोर्ट के जज एसके यादव बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 30 सितंबर को फैसला सुनाएंगे। जस्टिस एसके यादव ने सभी आरोपियों को फैसला सुनाए जाने के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के इस केस के ट्रायल को पूरा होने की समयसीमा को एक महीने बढ़ाने के निर्देश दे दिए थे।
सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें, गवाही, जिरह सुनने के बाद 1 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। इससे पहले वरिष्ठ वकील मृदल राकेश, आईबी सिंह और महिपाल अहलूवालिया ने आरोपियों की तरफ से मौखिक दलीलें पेश की, इसके बाद सीबीआई के वकीलों ललित सिंह, आर.के. यादव और पी. चक्रवर्ती ने भी मौखिक दलीलें दी थी।
दशकों पुराने इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साक्षी महाराज,साध्वी रितंभरा, विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय सहित 32 आरोपी हैं।
लालकृष्ण आडवाणी ने 24 जुलाई को बाबरी मस्जिद मामले में स्पेशल सीबीआई अदालत के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना बयान दर्ज कराया था। खुद को बेकुसूर बताते हुए आडवाणी ने कहा था कि उन पर आरोप राजनीतिक कारणों से लगाए गए हैं।
अभियोजन पक्ष सीबीआई आरोपियों के खिलाफ 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज प्रस्तुत कर चुकी है। गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद को कार सेवकों ने दिसंबर 1992 में ढहाया था। उनका दावा था कि अयोध्या में यह मस्जिद भगवान राम के एतिहासिक राम मंदिर के स्थान पर बनायी गयी थी।
इससे पहले पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर बनाने की इजाजत दे दी थी। कोर्ट ने जमीन विवाद का फैसला सुनाते हुए मस्जिद के लिए भी अलग स्थान पर पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने का निर्देश दिया था।