बाबरी मस्जिदः अदालत की तारीख का काला दिन, असदुद्दीन ओवैसी बोले- दुनिया जानती है विध्वंस किसने किया

By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 30, 2020 18:07 IST2020-09-30T14:38:29+5:302020-09-30T18:07:45+5:30

सारी दुनिया जानती है कि बीजेपी, RSS, विश्व हिन्दू परिषद, शिवसेना और कांग्रेस पार्टी की मौजूदगी में विध्वंस हुआ। इसकी जड़ कांग्रेस पार्टी है, इनकी हुकूमत में मूर्तियां रखी गईं।

Babri Masjid Black day court date Asaduddin Owaisi world knows who did the demolition | बाबरी मस्जिदः अदालत की तारीख का काला दिन, असदुद्दीन ओवैसी बोले- दुनिया जानती है विध्वंस किसने किया

मैं बतौर भारतीय मुस्लिम आज अपमान, शर्म और असहाय महसूस कर रहा हूं। (photo-ani)

HighlightsAIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि  CBI कोर्ट का आज का ये फैसला भारत की अदालत की तारीख का एक काला दिन है। ओवैसी ने फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि क्या जादू से मस्जिद को गिराया गया। उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से इस फैसले को चैंलेज करने की अपील की है।

हैदराबादः सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

इस बीच, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि  CBI कोर्ट का आज का ये फैसला भारत की अदालत की तारीख का एक काला दिन है। सारी दुनिया जानती है कि बीजेपी, RSS, विश्व हिन्दू परिषद, शिवसेना और कांग्रेस पार्टी की मौजूदगी में विध्वंस हुआ। इसकी जड़ कांग्रेस पार्टी है, इनकी हुकूमत में मूर्तियां रखी गईं।

ओवैसी ने फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि क्या जादू से मस्जिद को गिराया गया। ओवैसी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को नाइंसाफी करार देते हुए कहा, 'मैं बतौर भारतीय मुस्लिम आज अपमान, शर्म और असहाय महसूस कर रहा हूं। बिल्कुल वैसा ही जैसे 1992 में युवावस्था में किया था।' उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से इस फैसले को चैंलेज करने की अपील की है।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि सीबीआई अपनी स्वतंत्रता के लिए अपील करेगा, नहीं करेगा तो मैं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़िम्मेदारों से गुजारिश करूंगा कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील करें।

असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को इसे ‘‘अप्रिय’’ करार दिया

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में सभी आरोपियों को बरी कर देने के विशेष सीबीआई अदालत के फैसले पर क्षोभ जाहिर करते हुए एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को इसे ‘‘अप्रिय’’ करार दिया और कहा कि केंद्रीय एजेंसी को इसके खिलाफ अपील करनी चाहिए।

अदालत ने मामले में दिया है। ओवैसी ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘फैसले से हिंदुत्व और उसके अनुयायियों की सामुहिक अंतरात्मा और विचारधारा को संतुष्टि मिलती है।’’ उन्होंने पूछा, ‘‘क्या छह दिसम्बर को किसी जादू से मस्जिद ढह गई? वहां लोगों को इकट्ठा होने के लिए किसने बुलाया? किसने सुनिश्चित किया कि वे वहां घुसें?’’

ओवैसी ने कहा कि सीबीआई को फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए ‘‘ताकि उसकी स्वतंत्रता बची रहे।’’ सीबीआई अदालत के फैसले को ‘‘अप्रिय’’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से इसके खिलाफ अपील करने का आग्रह करते हैं।

यादव ने अपने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी

विशेष अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने अपने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। अदालत द्वारा फैसला सुनाये जाने के बाद किसी अभियुक्त ने 'जय श्री राम' का नारा लगाया। न्यायालय ने कहा कि सीबीआई ने इस मामले की वीडियो फुटेज की कैसेट पेश की, उनके दृश्य स्पष्ट नहीं थे और न ही उन कैसेट्स को सील किया गया।

घटना की तस्वीरों के नेगेटिव भी अदालत में पेश नहीं किये गये। अदालत ने कहा कि छह दिसम्बर 1992 को दोपहर 12 बजे तक सब ठीक था। मगर उसके बाद ‘‘विवादित ढांचा’’ के पीछे से पथराव शुरू हुआ। विश्व हिन्दू परिषद नेता अशोक सिंघल ‘‘विवादित ढांचे’’ को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में रामलला की मूर्तियां रखी थीं। उन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की थी और कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा था। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था।

वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग—अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके।

कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे। मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है। फैसला सुनाये जाने से ऐन पहले सभी अभियुक्तों के वकीलों ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437—ए के तहत जमानत के कागजात पेश किये।

यह एक प्रक्रियात्मक कार्रवाई थी और इसका दोषसिद्धि या दोषमुक्त होने से कोई लेना—देना नहीं। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को बाबरी विध्वंस मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी।

इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे।

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