मध्यप्रदेश की बबीता राजपूत ने मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में उनकी सराहना किए जाने पर खुशी जताई
By भाषा | Updated: February 28, 2021 18:13 IST2021-02-28T18:13:16+5:302021-02-28T18:13:16+5:30

मध्यप्रदेश की बबीता राजपूत ने मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में उनकी सराहना किए जाने पर खुशी जताई
भोपाल/छतरपुर, 28 फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान जल संरक्षण करने के लिए मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले अगरौठा गांव की 19 वर्षीय छात्रा बबीता राजपूत की अपने गांव में एक सूख चुकी झील को पुन: लबालब भरने के लिए किये गये काम की सराहना की।
इससे गदगद होकर बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा बबीता ने कहा कि वह अपने आपको भाग्यशाली मानती है तथा अब और तेजी से जल संरक्षण कि लिये कार्य करेगी।
आकाशवाणी के ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम की 74वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे देश के नागरिकों को समझना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश के अगरौठा गांव की बबीता राजपूत जी भी जो कर रही हैं, उससे आप सभी को प्रेरणा मिलेगी।’’
मोदी ने कहा,‘‘बबीता का गांव बुंदेलखंड में है। उनके गांव के पास एक बहुत बड़ी झील थी जो सूख गई थी। उन्होंने गांव की ही दूसरी महिलाओं को साथ लिया और झील तक पानी जाने के लिए एक नहर बना दी। इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जाने लगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब ये झील पानी से भरी रहती है।’’
बबीता ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे इस काम की वजह से मोदी जी मेरा नाम लेंगे। मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानती हूं और अब और तेजी से जल संरक्षण कि लिये कार्य करूंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह झील सूख चुकी थी। इससे गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या हो गई थी। पहाड़ी से नहर बनाकर इसमें बरसात का पानी लाने के लिए मुझे एक उपाय सूझा और गांव की महिलाओं को इसके लिए प्रेरित किया और वे मान गये।’’
बबीता ने बताया, ‘‘इसके बाद मैंने गांव की करीब 200 से 250 महिलाओं के साथ जनवरी 2019 में इस पहाड़ी को काटकर झील तक नहर बनाना शुरू किया। इस नहर को पूरा बनाने में हमें 18 महीने लगे। इससे पिछले साल बरसात का पानी इस नहर के जरिए झील में जमा हुआ, जिससे हमें इस साल पानी की इस समस्या से निजात मिल गई।’’
उन्होंने कहा कि हम दूसरी पहाड़ी को काटकर भी इस झील तक नहर बनाने का काम करने जा रहे हैं और इस काम के पूरा होने बाद इस झील में साल भर पर्याप्त पानी रहेगा।
बबीता ने बताया कि इसके अलावा, हमने गांव के आसपास के नालों में भी चेकडैम बनाये हैं। इससे भी हमने बरसाती पानी को रोका है। इससे हमारे इलाके में जमीन में भी जलस्तर बढ़ गया है और गाय-भैंसों सहित अन्य जानवरों के लिए पीने की पानी की व्यवस्था हो गई है।
उन्होंने कहा कि वह बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है और गांव के पास ही घुवारा स्थित कॉलेज में पढ़ने जाती हैं।
बबीता ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से है इसलिए पैसे की तंगी के चलते उसके परिवार वाले उसे किसी अच्छे कॉलेज में जिले से बाहर किसी शहर में पढ़ने नहीं भेज सके।
अगरौठा गांव छतरपुर जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है और बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी का संकट सदैव बना रहता है। अगरौठा गांव को वर्ष 2018 में गंभीर जल संकट की समस्या से जूझना पड़ा था।
स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले साल गांव में दो बार ही बारिश हुई, लेकिन इसके बावजूद इस झील में बबीता एवं अन्य महिलाओं द्वारा किये गये प्रयासों की वजह से गांव के रहवासियों के लिए पर्याप्त पानी जमा है।
उन्होंने कहा कि करीब 250 महिलाओं ने पहाड़ी को काटा और अपने गांव को पानी की समस्या निजात दिला दी। उन्होंने कहा कि इस काम में 19 साल की लड़की बबीता राजपूत ने गांव की महिलाओं को प्रेरित किया था।
वहीं, छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) अजय सिंह ने कहा कि अगरौठा गांव की इस झील में शीघ्र ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से भी काम कराया जाएगा, ताकि इसमें गर्मियों में भी पर्याप्त पानी रहे।
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