Ayodhya Verdict: अयोध्या मामले पर मुस्लिम पक्ष की वो दलीलें जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 10, 2019 10:11 AM2019-11-10T10:11:40+5:302019-11-10T10:11:40+5:30

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि वहां विवादित स्थल पर 1934 से 1949 तक नमाज पढ़ी जाती थी. हालांकि, कोर्ट ने उसके इस दावे को नहीं माना. दूसरी तरफ हिंदू पक्ष यह साबित करने में कामयाब रहा कि बाहरी चबूतरे पर लगातार हिंदुओं का कब्जा था और वे वहां पूजा किया करते थे.

Ayodhya Verdict: The arguments of the Muslim side which the Supreme Court did not consider | Ayodhya Verdict: अयोध्या मामले पर मुस्लिम पक्ष की वो दलीलें जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (फाइल फोटो)

Highlightsमुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनवाई गई बल्कि खाली जगह पर मस्जिद बनवाई गई.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम खुदाई से निकले सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं.

अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष ने कई दलीलें दीं लेकिन बहुत सी दलीलों को ठोस प्रमाण के अभाव में सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना. गवाहों के क्रॉस एग्जामिनेशन से भी हिंदू दावा गलत साबित नहीं हो पाया. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने यह दलील दी थी कि स्थल विशेष पर लगातार नमाज ना पढ़ने और मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल कभी नहीं उठाया जा सकता. मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनवाई गई बल्कि खाली जगह पर मस्जिद बनवाई गई.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम खुदाई से निकले सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला पूरी पारदर्शिता से हुआ है. कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के नीचे विशाल संरचना थी. एएसआई ने 12वीं सदी का मंदिर बताया था. कोर्ट ने कहा कि कलाकृतियां जो मिली थीं, वह इस्लामिक नहीं थीं. विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीजें इस्तेमाल की गईं. मुस्लिम पक्ष लगातार कह रहा था कि एएसआई की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने कहा कि नीचे संरचना मिलने से भी हिंदुओं के दावे को माना नहीं जा सकता.

1856 से पहले नमाज पढ़ते थे यह साबित नहीं कर पाए मुस्लिम

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि वहां विवादित स्थल पर 1934 से 1949 तक नमाज पढ़ी जाती थी. हालांकि, कोर्ट ने उसके इस दावे को नहीं माना. दूसरी तरफ हिंदू पक्ष यह साबित करने में कामयाब रहा कि बाहरी चबूतरे पर लगातार हिंदुओं का कब्जा था और वे वहां पूजा किया करते थे. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा था कि विवाद भगवान के जन्मस्थान को लेकर है कि आखिर जन्मस्थान कहां हैं. धवन ने दलील दी कि धर्म शास्त्र के बारे में खुद से परिकल्पना नहीं की जा सकती है ये गलत होगा. जन्मस्थान की दलील विश्वास और आस्था पर आधारित है और अगर इस दलील को स्वीकार कर लिया गया तो इसका व्यापक असर होगा.

अयोध्या में राम के जन्मस्थान के दावे का विरोध नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसका प्रमाण कोई नहीं बता पाया कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनी थी. अयोध्या में राम के जन्मस्थान के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया. विवादित जगह पर हिंदू पूजा करते रहे थे. हिंदू मुख्य गुंबद को ही राम जन्म का सही स्थान मनाते हैं. हिंदू परिक्रमा भी किया करते थे. चबूतरा, सीता रसोई, भंडारे से भी दावे की पुष्टि होती है. सुनवाई के दौरान ऐतिहासिक ग्रंथों के विवरण रखे गए. स्कंद पुराण, पद्म पुराण का जिक्र किया गया.

मस्जिद कब बनी, इससे फर्क नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज कर दी गई है. उन्होंने कहा कि मस्जिद कब बनी, इससे फर्क नहीं पड़ता. 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति रखी गई. एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने. नमाज पढ़ने की जगह को हम मस्जिद मानने से मना नहीं कर सकते. जज ने कहा कि जगह सरकारी जमीन है.

एजेंसी इनपुट्स लेकर

Web Title: Ayodhya Verdict: The arguments of the Muslim side which the Supreme Court did not consider

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