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अयोध्या फैसले पर शिया धर्मगुरु ने कहा- अब विवाद हो गया समाप्त, मैं अल्लाह का हूं शुक्रगुजार

By रामदीप मिश्रा | Updated: November 9, 2019 15:53 IST

Ayodhya verdict: शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।

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ठळक मुद्देअयोध्या विवाद पर शनिवार (09 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। । उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है और अल्लाह का शुक्रगुजार बताया।

अयोध्या विवाद पर शनिवार (09 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है और अल्लाह का शुक्रगुजार बताया। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों समेत सभी लोगों ने स्वीकार किया है। बता दें, शीर्ष अदालत ने फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया।

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, 'हम विनम्रतापूर्वक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं, मैं अल्लाह का शुक्रगुजार हूं कि मुसलमानों समेत बड़ी संख्या में लोगों ने इस फैसले को स्वीकार किया है और अब विवाद समाप्त हो गया है। हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पास पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार है, मुझे लगता है कि मामला अब समाप्त होना चाहिए।'

इससे पहले पांच एकड़ जमीन आवंटित करने को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा, 'इसके बदले हमें 100 एकड़ जमीन भी दे तो कोई फायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ जमीन पहले से ही अधिग्रहण की जा चुकी है, तो हमको दान में क्या दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ जमीन लेने के बाद पांच एकड़ दे रहे हैं। ये कहां का इंसाफ है?' 

बता दें कि शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था। 

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 

संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। 

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