अयोध्या विवादः SC में 'राम लला विराजमान' के वकील ने कहा- मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है, वहां पूजा करना बड़ा सबूत

By रामदीप मिश्रा | Published: August 21, 2019 12:17 PM2019-08-21T12:17:13+5:302019-08-21T12:17:13+5:30

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामलाः सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मू्र्ति स्थापना के बाद उसे हटाया नही जा सकता है। वहां लोगों का पूजा करना ही सबसे बड़े सबूत के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मंदिर की संपत्ति ट्रांसफर भी नहीं हो सकती है।

Ayodhya dispute: 'Ram Lalla Virajman' lawyer in Supreme Court said, Temple is always temple, worshiping there is big proof | अयोध्या विवादः SC में 'राम लला विराजमान' के वकील ने कहा- मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है, वहां पूजा करना बड़ा सबूत

File Photo

Highlightsसुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर नौवें दिन बुधवार (21 अगस्त) को सुनवाई हुई है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 'राम लला विराजमान' के वकील सी.एस वैद्यनाथन की दलीलें सुननी शुरू कीं।

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर नौवें दिन बुधवार (21 अगस्त) को सुनवाई हुई है। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 'राम लला विराजमान' के वकील सी.एस वैद्यनाथन की दलीलें सुननी शुरू कीं। वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध ढाचे से मालिकाना हक का दावा नहीं किया जा सकता है। मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है। 

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मू्र्ति स्थापना के बाद उसे हटाया नही जा सकता है। वहां लोगों का पूजा करना ही सबसे बड़े सबूत के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मंदिर की संपत्ति ट्रांसफर भी नहीं हो सकती है।

इससे पहले मंगलवार को सी.एस वैद्यनाथन पुरातात्विक साक्ष्य को 'भरोसेमंद' और 'वैज्ञानिक' बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ये अयोध्या में विवादित स्थल पर 12वीं सदी के मध्य में 'विष्णु हरि' मंदिर के अस्तित्व का उल्लेख करते हैं, जहां बाबरी मस्जिद का निर्माण या तो उसके ध्वंसावशेष पर किया गया या मंदिर को तोड़ने के बाद किया गया। 

राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई के आठवें दिन 'राम लला' की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा था कि 2.77 एकड़ के विवादित स्थल पर विशाल 'गैर इस्लामिक' ढांचा था, जो अनंतकाल से भगवान राम की जन्मस्थली के तौर पर हिंदुओं के लिये पूजनीय है।
 
उन्होंने छह दिसंबर 1992 को विवादित स्थल पर ढांचा गिराए जाने के दौरान चार गुणा दो फुट आकार का पत्थर का पुराना स्लैब बरामद किये जाने का उल्लेख किया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट और विशेषज्ञों और एक प्रत्यक्षदर्शी पत्रकार की गवाही को पढ़ा ताकि इस निष्कर्ष को उजागर किया जा सके कि वहां विशाल मंदिर था। 

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि एएसआई न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुराने स्थलों और स्मारकों की खुदाई, शोध और संरक्षण के अपने काम के संबंध में बेहद प्रतिष्ठित निकाय है... एएसआई पर विश्वास नहीं करने का कोई कारण नहीं है। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। 

Web Title: Ayodhya dispute: 'Ram Lalla Virajman' lawyer in Supreme Court said, Temple is always temple, worshiping there is big proof

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे