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अयोध्या विवाद: समझौते से निकलेगा हल! वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा- कुछ शर्तों पर हम पहुंचे हैं, पर अभी बताने से इनकार

By विनीत कुमार | Updated: October 17, 2019 14:34 IST

अयोध्या मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि कोर्ट अगले महीने इस संबंध में कोई फैसला सुना सकता है।

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ठळक मुद्देसुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने दिये संकेत, अयोध्या विवाद में कोर्ट से बाहर भी समझौते की कोशिश जारीसुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 16 अक्टूबर को पूरी कर ली थी सुनवाई, कोर्ट ने अभी फैसला सुरक्षित रखा है

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई खत्म हो जाने के बाद अब इस मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौते की भी अटकलें तेज हो गई हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक वकील एस रिजवी ने भी इस ओर संकेत दिया है। हालांकि, अभी कुछ भी साफ नहीं है। दरअसल, एस. रिजवी ने कहा है कि इस मामले के पक्षकार कुछ शर्तों तक पहुंचे हैं लेकिन फिलहाल वे इस बारे में कोई भी खुलासा नहीं कर सकते।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार रिजवी ने कहा, 'अयोध्या केस में कोर्ट के बाहर मध्यस्थता कमेटी के सामने पक्षकारों ने अपनी बात रखी है और कुछ शर्तों तक पहुंचे भी हैं जिसे मैं अभी जाहिर नहीं कर सकता। अच्छी चीजें करने में कभी देर नहीं होती। अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो आप इसे आखिरी लम्हे में भी कर सकते हैं।' 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 16 अक्टूबर (बुधवार) को सुनवाई पूरी कर ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने लगातार 40 दिन इस मामले को सुना और अब फैसला सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि अगले महीने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले कोर्ट इस मामले में फैसला दे सकता है। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर, 2010 के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बांटने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद मई 2011 में हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुये अयोध्या में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में केस की आखिरी सुनवाई के दौरान ऐसी रिपोर्ट्स भी मीडिया में आई थी जिसमें कहा गया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन से अपना दावा छोड़ सकता है। हालांकि बाद में इसे वक्फ बोर्ड की ओर से इनकार किया गया।

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