अटार्नी जनरल ने जगन रेड्डी के विरुद्ध अवमानना कार्रवाई की इजाजत देने से फिर किया इनकार, कहा-पत्र अवज्ञाकारी

By स्वाति सिंह | Published: November 8, 2020 05:10 PM2020-11-08T17:10:29+5:302020-11-08T17:16:01+5:30

वेणुगोपाल ने शनिवार को यह भी कहा कि वकील को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के समक्ष या उनके द्वारा दायर की गई जनहित याचिका, जिसमें दोषी जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध का आग्रह किया गया है, की सुनवाई के दौरान स्वयं अवमानना का मुद्दा उठाने से रोका नहीं गया है।

Attorney General Again Refuses To OK Contempt Case Against Jagan Reddy | अटार्नी जनरल ने जगन रेड्डी के विरुद्ध अवमानना कार्रवाई की इजाजत देने से फिर किया इनकार, कहा-पत्र अवज्ञाकारी

वेणुगोपाल ने यह माना था कि न्यायपालिका पर आरोप लगाने को लेकर रेड्डी और कोल्लम का व्यवहार पहली नजर में अवज्ञाकारी लगता है। 

Highlightsजगमोहन रेड्डी पत्र विवाद में अटॉर्नी जनरल ने फैसले पर पुनःविचार से इनकार कियाआंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छह अक्टूबर को सीजेआई को पत्र लिखकर आरोप लगाया था

नयी दिल्ली: अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके प्रधान सलाहकार के खिलाफ न्यायाधीशों पर आरोप लगाने को लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय को मंजूरी नहीं देने के फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया है। शीर्ष विधि अधिकारी ने उपाध्याय के पुनर्विचार का अनुरोध करने वाले पत्र के जवाब में अपना रूख दोहराते हुए कहा कि अवमानना का मुद्दा भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस ए बोबडे और मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी व उनके प्रधान सलाहकार के बीच का मामला है।

वेणुगोपाल ने शनिवार को यह भी कहा कि वकील को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के समक्ष या उनके द्वारा दायर की गई जनहित याचिका, जिसमें दोषी जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध का आग्रह किया गया है, की सुनवाई के दौरान स्वयं अवमानना का मुद्दा उठाने से रोका नहीं गया है। उपाध्याय ने पांच नवंबर को वेणुगोपाल से अपने फैसले पर पुनःविचार का आग्रह किया था और कहा था, " मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि इन बिन्दुओं को देंखें (खासकर इस तथ्य को कि अवमानना का प्रश्न कहीं भी लंबित नहीं है) और कृपया मेरे अनुरोध को मंजूरी प्रदान करने पर पुनर्विचार करें।"

उन्होंने कहा, " यह ऐसे समय में काफी अहमियत का मुद्दा है जब न्यायपालिका पर हमले किए जा रहे हैं और जो हम एक संस्थान का हिस्सा हैं, उनके द्वारा एक कड़ा रूख लिए जाने की जरूरत है।" सात नवंबर को दिए जवाब में, वेणुगोपाल ने अपने पहले के उत्तर का हवाला देते हुए कहा, " वाई एस जगनमोहन रेड्डी द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र की सामग्री में कथित अवमानना का बिंदु है, और इस प्रकार अदालत की अवमानना अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार उच्चतम न्यायालय अवमानना का स्वतः संज्ञान लेने के लिए स्वतंत्र है।"

उन्होंने कहा कि मामला सीजेआई से संबंधित है और यह उनके लिए उचित नहीं होगा कि वह मंजूरी दें और मामले पर प्रधान न्यायाधीश की व्याख्या में हस्तक्षेप करें। वेणुगोपाल ने कहा, " आपको अच्छी तरह से पता है कि अवमानना का मामला अदालत और अवमानना करने वाले के बीच का होता है और कोई भी व्यक्ति अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए जोर नहीं दे सकता है। " किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही शुरू के लिए विधि अधिकारी से मंजूरी लेना पूर्व शर्त है।

एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छह अक्टूबर को सीजेआई को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का इस्तेमाल "मेरी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को अस्थिर करने और गिराने" के लिए किया जा रहा है। उपाध्याय ने मुख्यमंत्री और उनके सलाहकार कोल्लम के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए मंजूरी मांगी थी, लेकिन दो नवंबर को वेणुगोपाल ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। हालांकि वेणुगोपाल ने यह माना था कि न्यायपालिका पर आरोप लगाने को लेकर रेड्डी और कोल्लम का व्यवहार पहली नजर में अवज्ञाकारी लगता है। 

Web Title: Attorney General Again Refuses To OK Contempt Case Against Jagan Reddy

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