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अतीक-अशरफ को इस तरह पैदल क्यों ले जाया गया, हत्यारों को कैसे पता चला? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछे सवाल, रिपोर्ट भी मांगी

By विनीत कुमार | Updated: April 28, 2023 15:09 IST

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कई सवाल दागे हैं। कोर्ट ने दोनों भाईयों की हत्या के बाद उठ रहे सवालों पर स्थिति को लेकर भी रिपोर्ट मांगा है।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद तथा उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद उठाए गए सवालों पर स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने झांसी में पुलिस के साथ हुई उस एनकाउंटर के संबंध में भी उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी जिसमें अतीक अहमद का बेटा असद मारा गया था। 

उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटी) के दल ने असद को 13 अप्रैल को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके दो दिन बाद ही अतीक अहमद तथा अशरफ की मीडियाकर्मी बनकर आए तीन लोगों ने नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह हत्या उस वक्त की गयी थी जब दोनों को पुलिस की सुरक्षा में स्वास्थ्य जांच के लिए प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज ले जाया जा रहा था। 

सुप्रीम कोर्ट ने दागे यूपी सरकार से सवाल

कोर्ट ने अतीक-अशरफ की हत्या को लेकर यूपी सरकार से पूछा, उन्हें (हत्यारे) पता कैसे चला। हमने टीवी पर इसे देखा है। अतीक अहमद और उसके भाई को एंबुलेंस से अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? उन्हें ऐसे अस्पताल के प्रवेश द्वार तक क्यों चलाकर ले जाया गया।'

सरकार ने अदालत को बताया कि दोनों भाइयों को अदालत द्वारा अनिवार्य चिकित्सा परीक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। यूपी सरकार की ओर से कहा गया, 'अदालत के आदेशों के अनुसार, उन्हें हर दो दिनों में चिकित्सा परीक्षण के लिए ले जाना पड़ता था। इसलिए प्रेस को इस बारे में पता था। हमने इस मामले की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त किया है।'

यूपी सरकार की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा, 'यह आदमी (अतीक अहमद) और उसका पूरा परिवार पिछले 30 वर्षों से जघन्य अपराधों से जुड़ा हुआ है। यह घटना विशेष रूप से एक भीषण घटना है। हमने हत्यारों को पकड़ लिया है, और उन्होंने कहा कि नाम कमाने के लिए उन्होंने ऐसा किया है।'

रोहतगी ने कहा, 'सभी ने टेलीविजन पर वह हत्या देखीं। हत्यारे न्यूज फोटोग्राफर बन कर आए थे। उन्होंने पास भी रखा हुआ था, उनके पास कैमरे थे और पहचान पत्र भी थे जो बाद में नकली पाए गए। वहां 50 लोग थे और बाहर और भी लोग थे। इस तरह वे हत्या करने में कामयाब रहे।'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वकील विशाल तिवारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 पुलिस मुठभेड़ों की जांच करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि अतीक और परिवार के अन्य लोगों की हत्या भी उसी पैटर्न का हिस्सा थी। 

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