असम के मुख्यमंत्री ने 'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करने पर बल दिया

By भाषा | Published: July 21, 2021 06:36 PM2021-07-21T18:36:48+5:302021-07-21T18:36:48+5:30

Assam CM stresses on defining secularism in the context of 'Indian Civilization' | असम के मुख्यमंत्री ने 'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करने पर बल दिया

असम के मुख्यमंत्री ने 'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करने पर बल दिया

गुवाहाटी, 21 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता की धारणा को 'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में परिभाषित करने की आवश्यकता है।

सरमा ने वामपंथी बुद्धिजीवियों, उदारवादियों और मीडिया पर निशाना साधते हुए दावा किया कि देश के बौद्धिक समाज में अब भी वाम-उदारवादियों का वर्चस्व है और मीडिया ने वैकल्पिक आवाजों की अनदेखी करते हुए उन्हें ज्यादा स्थान दिया है। वह एक समारोह को संबोधित कर रहे थे जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक पुस्तक का विमोचन किया।

उन्होंने दावा किया, ‘‘बौद्धिक आतंकवाद फैलाया गया है और देश के वामपंथी कार्ल मार्क्स से अधिक वामपंथी हैं। मीडिया में कोई लोकतंत्र नहीं है ... उनके यहां भारतीय सभ्यता के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन कार्ल मार्क्स और लेनिन के लिए जगह है।"

सरमा ने आरोप लगाया कि मीडियाकर्मी निजी बातचीत में वैकल्पिक विमर्श पर सहमत हो सकते हैं लेकिन वे वामपंथी-उदारवादियों को जगह देने को तरजीह देते हैं क्योंकि यह एक स्वतंत्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "वामपंथी सोच को चुनौती दी जानी चाहिए और अस्तित्व के लिए हमारे लंबे संघर्ष, इतिहास पर आधारित अधिक विचारोत्तेजक पुस्तकों को सही परिप्रेक्ष्य में तैयार किया जाना चाहिए।’’

मुख्यमंत्री ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि भारतीय सभ्यता के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को किस प्रकार परिभाषित किया जाए, हालांकि उन्होंने जोर दिया कि भारत ऋग्वैदिक काल से ही धर्मनिरपेक्ष देश रहा है। उन्होंने कहा, "हमने दुनिया को धर्मनिरपेक्षता और मानवता की धारणा दी है। हमारी सभ्यता पांच हजार साल पुरानी है और हमने युगों से विचार, धर्म और संस्कृति की विविधता को स्वीकार किया है।"

संशोधित नागरिकता कानून का जिक्र करते हुए सरमा ने कहा कि इस पर दो विचार हैं- असम के बाहर प्रदर्शनकारियों के लिए मांग है कि सिर्फ हिंदुओं को ही नागरिकता क्यों दी जाए, मुस्लिम प्रवासियों को भी इसके दायरे में लाया जाए। हालांकि असम में कानून के खिलाफ विरोध यह था कि न तो हिंदुओं और न ही अन्य देशों के मुसलमानों को नागरिकता दी जाए।

उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय स्तर पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष प्रदर्शनकारियों ने पूरे प्रदर्शन को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की।

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Web Title: Assam CM stresses on defining secularism in the context of 'Indian Civilization'

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