असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल, कहा-अगर कश्मीर की स्थिति सामान्य तो नेताओं को जाने की अनुमति क्यों नहीं?
By स्वाति सिंह | Published: September 16, 2019 06:18 PM2019-09-16T18:18:03+5:302019-09-16T18:18:03+5:30
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने परिवार के सदस्यों का हालचाल जानने के लिए अपने गृह राज्य जम्मू कश्मीर जाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिस पर सोमवार (16 सितंबर) को सुनवाई की गई है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अनुमति दे दी।
ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहाद उल मुसलमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में चल रहे मौजूदा हालात को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला। ओवैसी ने कहा कि कश्मीर में कोई सामान्य स्थिति नहीं है। साथ ही ओवैसी ने सरकार के दावों पर सवाल उठाए। ओवैसी ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर की स्थिति समान्य होती तो पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद तो सुप्रीम कोर्ट से वहां जाने के लिए मंजूरी लेने की क्या जरूरत थी।
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने परिवार के सदस्यों का हालचाल जानने के लिए अपने गृह राज्य जम्मू कश्मीर जाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिस पर सोमवार (16 सितंबर) को सुनवाई की गई है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अनुमति दे दी।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आज़ाद को श्रीनगर, बारामुला, अनंतनाग और जम्मू का दौरा करने की अनुमति दे दी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने कहा है कि इस दौरान वह कोई भाषण नहीं देंगे और न ही कोई सार्वजनिक रैली करेंगे।
आजाद की याचिका पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सोमवार को सुनवाई की। बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर याचिका दायर की थी और उनका कहना था कि यह याचिका राजनीतिक नहीं है।
आजाद ने अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए शीर्ष अदालत से अनुमति मांगी थी। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद उन्होंने अपने गृह राज्य जाने का प्रयास किया था लेकिन अधिकारियों ने उन्हें हवाई अड्डे से ही वापस भेज दिया था।
शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाये जाने के बाद अधिकारियों द्वारा लागू पाबंदियों के बाद राज्य की सामाजिक स्थितियों की जांच करने की भी अनुमति मांगी थी।