कश्मीर में मौजूदा स्थिति से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए रोज़ी-रोटी का संकट हुआ खड़ा!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 2, 2019 08:06 IST2019-09-02T08:06:45+5:302019-09-02T08:06:45+5:30

Article 370: The current situation in Kashmir created a crisis of livelihood for the people associated with the tourism sector! | कश्मीर में मौजूदा स्थिति से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए रोज़ी-रोटी का संकट हुआ खड़ा!

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में कश्मीर में 1.74 लाख सैलानी आए थे

Highlightsअनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से कुछ दिन पहले राज्य सरकार ने सभी सैलानियों से घाटी छोड़ देने को कहा था।पर्यटन को कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।

जम्मू्-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के बाद, पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित है। इस वजह से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कश्मीर पांच अगस्त के बाद करीब एक महीने से अप्रत्याशित पाबंदियों से जूझ रहा है जिससे आम जनजीवन प्रभावित है और बाजार बंद हैं तथा सार्वजनिक परिवहन के साधन सड़कों से नदारद हैं।

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से कुछ दिन पहले राज्य सरकार ने सभी सैलानियों से घाटी छोड़ देने को कहा था। पर्यटन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, करीब 20 से 25 हजार सैलानी घाटी में मौजूद थे। तब से घाटी में कोई सैलानी नहीं है। पर्यटन को कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।

श्रीनगर के एक प्रतिष्ठित होटल कारोबारी ने बताया कि अगर मौजूदा स्थिति लंबी खिंचती है तो नौकरियों में कटौती करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो हमारे पास कोई और विकल्प नहीं होगा। हम यह नहीं करना चाहते हैं।’’

नुकसान सिर्फ होटल कारोबारियों को नहीं हो रहा है बल्कि टूर ट्रैवल्स एजेंट, हाउसबोट के मालिक, शिकारावाला, टैक्सी ऑपरेटर और टूरिस्ट गाइडों को भी नुकसान हो रहा है। कुछ ट्रैवल एजेंसियों ने नौकरियों में कटौती करने से बचने के लिए अपने स्टाफ के वेतन में कटौती की है।

एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक ने बताया, ‘‘ हमारे पास कारोबार फिर से चलने तक या तो अपने कर्मियों को निकालने या उनकी तनख्वाह कम करने का विकल्प है। हमारी एजेंसी में, हमने अपने स्टाफ की तनख्वाह को 30 फीसदी तक कम करने का सामूहिक फैसला किया है।’’

एक हाउसबोट के मालिक अहमद ने बताया, ‘‘ हमने बैंकों से कर्ज लिया हुआ है और हमें मासिक किस्त देनी होती है। हम कहां से पैसे का इंतजाम करें??’’ एक ट्रैवल एजेंट ने कहा कि यह मौसम पर्यटन के लिहाज से सबसे ज्यादा बेहतर होता है और अब सर्दियां आ रही है जो पर्यटन के लिए रुखा मौसम माना जाता है।

मौजूदा हालात को देखते हुए इसमें मार्च तक किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है। लद्दाख क्षेत्र का द्वार माने जाने वाला सोनमर्ग आम तौर पर सैलानियों से भरा रहता है, लेकिन मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के इस इलाके के होटल, रेस्तरां और दुकानें बंद पड़ी हैं। एक होटल के प्रबंधक ने बताया कि हमारा कारोबार सिर्फ कुछ स्थानीय लोगों से ही चल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले कुछ हफ्तों से हमने किसी सैलानी को नहीं देखा है। सरकार के परामर्श के बाद भी कुछ पर्यटक यहां रुके हुए थे और उनके जाने के बाद, यहां कोई सैलानी नहीं आया। यहां सिर्फ एक-दो रातों के लिए स्थानीय लोग आ रहे हैं।’’ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में कश्मीर में 1.74 लाख सैलानी आए थे जबकि जुलाई में 3,403 विदेशी समेत 1.52 लाख पर्यटक कश्मीर घूमने आए थे।

बहरहाल, पर्यटन विभाग ने कहा कि अगस्त में आने वाले सैलानियों का ब्योरा महकमे के पास नहीं है। कश्मीर में, पर्यटन के निदेशक निसार अहमद वानी ने कहा, ‘‘ हमारे पास किसी भी सैलानी के आने की कोई रिपोर्ट नहीं है। कुछ शायद आए हों, लेकिन हमारे पास रिकॉर्ड नहीं है।’’ विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य की सीआईडी विदेशी सैलानियों का पंजीकरण करती है। इसलिए उनका औपचारिक आंकड़ा उपलब्ध होता है। 

Web Title: Article 370: The current situation in Kashmir created a crisis of livelihood for the people associated with the tourism sector!

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