अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर में खाली पड़े हैं स्कूल, घरों से निकलने से बच रहे हैं लोग, बाजार अब भी बंद
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 22, 2019 08:28 AM2019-08-22T08:28:35+5:302019-08-22T08:37:17+5:30
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के पखवाड़े बाद भी इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद हैं। जबकि टेलीफोन सेवाओं में थोड़ी ढील बरती है।
कश्मीर में प्रशासन ने बुधवार को दिन के समय प्रतिबंधों में ढील दी लेकिन माध्यमिक कक्षाओं वाले शैक्षणिक संस्थान खोले जाने के प्रशासनिक आदेश के बाद भी छात्र स्कूलों में नहीं आए. ज्यादातर निजी स्कूल खाली पड़े हैं क्योंकि यहां से छात्र अब भी नदारद हैं.
हालांकि कर्मचारी कुछ संस्थानों में आ रहे हैं. प्रशासन ने श्रीनगर के कई हिस्सों सहित कश्मीर के अन्य हिस्सों में प्रतिबंधों में छूट दी है. शहर के पॉश इलाके और सिविल लाइन क्षेत्रों से अवरोधक हटाए गए हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात हैं. शहर के कई हिस्सों खास तौर पर डाउनटाउन में प्रतिबंध जारी है.
सरकार ने कहा है कि राज्य के 22 जिलों में से 12 जिलों के ज्यादातर हिस्सों में जनजीवन सामान्य चल रहा है. श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग और श्रीनगर हवाई अड्डा सामान्य रूप से काम कर रहा है. 73000 लैंडलाइन बहाल सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 93,000 लैंडलाइन टेलीफोन में से 73,000 को बहाल कर दिया गया है और बाकी जल्द ही शुरू हो जाएंगे. लोगों के घरों से बाहर नहीं निकलने की वजह से बाजार अब भी बंद हैं.
श्रीनगर, जम्मू के मेयरों को राज्यमंत्री का दर्जा श्रीनगर और जम्मू नगर निकायों के मेयरों को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया गया है. अतिरिक्त सचिव सुभाष छिब्बर की ओर से मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि आतिथ्य और प्रोटोकॉल विभाग सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के साथ इसके लिए जरूरी कदम उठाएगा.
आदेश में कहा गया है कि इसके तहत श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी) और जम्मू नगर निगम (जेएमसी) के मेयर को उनके क्षेत्रीय अधिकार के अंतर्गत राज्यमंत्री के स्तर का दर्जा दिया गया है. नगर निगमों के लिए चुनाव 13 साल के अंतराल के बाद पिछले साल अक्तूबर में चार चरणों में हुआ था. पीपल्स कांफ्रेंस के नेता जुनैद मट्टू और भाजपा नेता चंद्रमोहन गुप्ता क्रमश: एसएमसी और जेएमसी के मेयर हैं.
कश्मीर पर 'द लांसेट' में छपे संपादकीय की निंदा हैदराबाद : 'एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया' ने ब्रितानी मेडिकल पत्रिका 'द लांसेट' में कश्मीर पर प्रकाशित संपादकीय की निंदा करते हुए कहा कि यह तथ्यात्मक रूप से गलत एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित है. 'एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया' (एएसआई) ने मांग की कि 'द लांसेट' का संपादकीय बोर्ड बिना शर्त माफी मांगे और अपने ऑनलाइन संस्करण को वापस ले.