अनुच्छेद 370ः पहली बार पत्रकार को लिया हिरासत में, मुचलके पर रिहा किया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम कुछ समय देना चाहते हैं

By भाषा | Published: August 16, 2019 06:06 PM2019-08-16T18:06:44+5:302019-08-16T18:06:44+5:30

सुरक्षाबलों ने बुधवार आधी रात को छापे के दौरान पत्रकार को हिरासत में लिया। उसके परिवार ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले को त्राल में स्थित पुलिस थाने में दर्ज कराया है। बता दें कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से मलिक पहले मीडियाकर्मी हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है।

Article 370: Journalist Irfan Malik detained from his house late night of 14 August | अनुच्छेद 370ः पहली बार पत्रकार को लिया हिरासत में, मुचलके पर रिहा किया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम कुछ समय देना चाहते हैं

जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर पाबंदियां हटाने के मसले पर न्यायालय ने कहा, हम कुछ समय देना चाहते हैं।

Highlightsजम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद बीते 11 दिनों से घाटी में पूरी तरह से बंदी है।विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता और अलगाववादी समूहों के सैकड़ों लोग हिरासत में हैं।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए जाने के बाद मीडिया पर लगायी गयी पाबंदियां हटाने के लिये दायर याचिका पर कोई निर्देश देने से पहले वह कुछ समय इंतजार करेगा। इससे पहले, केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया कि यह पाबंदियां धीरे-धीरे हटायी जा रही हैं।

इस बीच, अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के बाद पहली बार कश्मीर में श्रीनगर स्थित अंग्रेजी दैनिक के लिए काम करने वाले एक 26 वर्षीय पत्रकार को कश्मीर के त्राल में स्थित उसके घर से सुरक्षाबलों ने हिरासत में लिया।

सुरक्षा बलों द्वारा बृहस्पतिवार रात हिरासत में लिये गए कश्मीरी पत्रकार को मुचलके पर रिहा कर दिया गया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। ग्रेटर कश्मीर समाचार पत्र के संवाददाता इरफान मलिक को पुलवामा जिले के त्राल में स्थित उनके घर से हिरासत में लिया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि उनसे पूछताछ की गई और मुचलके पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा कर दिया गया। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उन्हें किसलिये हिरासत में लिया गया था। अधिकारियों ने कहा कि मुचलका उन लोगों से लिया जाता है जो समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं।

सुरक्षाबलों ने बुधवार आधी रात को छापे के दौरान पत्रकार को हिरासत में लिया। उसके परिवार ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले को त्राल में स्थित पुलिस थाने में दर्ज कराया है। बता दें कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से मलिक पहले मीडियाकर्मी हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है।

कश्मीर के दैनिक अंग्रेजी अखबार ग्रेटर कश्मीर में काम करने वाले पत्रकार इरफान मलिक को 14 अगस्त की देर रात उनके घर से हिरासत में लिया गया। ग्रेटर कश्मीर अखबार के सूत्रों के मुताबिक, इरफान मलिक दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले से रिपोर्टिंग कर रहे थे और त्राल में रहते थे।

इरफान के पिता मोहम्मद अमीन मलिक और मां हसीना ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि वे (सुरक्षा बल) कल रात 11.30 बजे हमारे घर पहुंचे। जैसे ही इरफान बाहर आए, उन्होंने उन्हें अपने साथ आने के लिए कहा इरफान को सीधे त्राल के पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

इरफान के पिता ने कहा कि कल रात उन्हें अपने बेटे से मिलने की अनुमति नहीं थी वह 15 अगस्त की सुबह अपने बेटे से मिलने पुलिस स्टेशन पहुंचे जहां उनकी मुलाकात बेटे से हो पाई। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को भी नहीं पता है कि उसे क्यों हिरासत में लिया गया है।

इरफान की मां हसीना ने कहा, ‘मैं प्रशासन से अपील करती हूं कि मेरे बेटे को छोड़ दें क्योंकि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है’। हसीना ने कहा, ‘पुलिस लॉकअप में हमें हमारे बेटे से मिलने की मंजूरी दी गई लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन में से कोई भी हमें उसकी गिरफ्तारी का कारण नहीं बता रहा।’

इरफान के पिता श्रीनगर स्थित मीडिया फैसिलिटेशन सेंटर पहुंचकर पत्रकार की हिरासत की जानकारी दी। यह सेंटर जम्मू-कश्मीर सरकार के सूचना विभाग के द्वारा स्थापित है।

अवंतीपोरा के एसपी ताहिर सलीम से मलिक के परिवार ने मुलाकात की है जिन्होंने कहा कि इरफान ने कुछ गलत रिपोर्टिंग की होगी, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया। हालांकि उन्होंने इस बारे में और कुछ कहने से इनकार कर दिया। बता दें कि ग्रेटर कश्मीर पिछले कुछ दिनों से प्रकाशित नहीं हुआ है।

इसके बाद सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल से भी संवाददाताओं ने मलिक की गिरफ्तारी के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने कहा, ‘मुझे उनकी (मलिक) की गिरफ्तारी के बारे में पता चला। हम पुलिस से इसके बारे में जानकारी मांगेंगे और मीडिया के साथ उस जानकारी को साझा करेंगे।’ हालांकि, कंसल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया कि वह इस संबंध में मीडिया से कब जानकारी साझा करेंगे। 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, विधायकों और मंत्रियों जैसे सज्जाद लोन, अली मोहम्मद सागर, निजामुद्दीन भट, विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता और अलगाववादी समूहों के सैकड़ों लोग हिरासत में हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद बीते 11 दिनों से घाटी में पूरी तरह से बंदी है।

जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर पाबंदियां हटाने के मसले पर न्यायालय ने कहा, हम कुछ समय देना चाहते हैं

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए जाने के बाद मीडिया पर लगायी गयी पाबंदियां हटाने के लिये दायर याचिका पर कोई निर्देश देने से पहले वह कुछ समय इंतजार करेगा।

इससे पहले, केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया कि यह पाबंदियां धीरे-धीरे हटायी जा रही हैं। मीडिया पर लगी पाबंदियां हटाने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति में सुधार हो रहा है और बंदिशें धीरे धीरे हटायी जा रही हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने इस संबंध में केन्द्र के कथन का संज्ञान लेते हुये कहा, ‘‘हम कुछ समय देना चाहते हैं।

हमने आज ही समाचार पत्र में पढ़ा है कि धीरे धीरे लैंडलाइन और ब्राडबैंड कनेक्शन बहाल किये जा रहे हैं। इसलिए, हम अन्य संबद्ध मामलों के साथ ही इस याचिका पर सुनवाई करेंगे।’’ पीठ ने कहा, ‘‘लैंडलाइन काम कर रही हैं। हमें भी आज जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का फोन मिला था। ’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम देखते हैं कि इस मामले को सुनवाई के लिये कब सूचीबद्ध किया जा सकता है। हम प्रशासनिक पक्ष में इसकी तारीख निर्धारित करेंगे।’’

कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने पीठ से कहा कि राज्य में पत्रकारों के लिये संचार माध्यम शीघ्र बहाल करने की जरूरत है ताकि वे अपना काम सुचारू ढंग से कर सकें। ग्रोवर ने कहा, ‘‘मेरा मामला प्रेस की स्वतंत्रता से संबंधित है और उसका अनुच्छेद 370 से कोई संबंध नहीं है।’’ इस पर पीठ ने कहा कि इस मामले को भी उसी पीठ को भेजा जा सकता है जिसमे मंगलवार को इसी तरह की याचिका पर विचार किया था।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनेक पाबंदियां लगाने के केन्द्र और जम्मू कश्मीर सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इंकार कर दिया था और कहा था कि हालात सामान्य बनाने के लिये उन्हें समुचित समय दिया जाना चाहिए।

इस पीठ ने सारे मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई करने का निश्चय किया था। ग्रोवर ने कश्मीर टाइम्स की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मीडियाकर्मियों के आवागमन पर अनेक बंदिशें लगी हैं और संचार व्यवस्था बंद होने की वजह से अखबारों का प्रकाशन ठप है। उन्होने कहा कि सिर्फ श्रीनगर से ही कुछ रिपोर्टिंग हो रही है और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस की भूमिका बनाये रखना जरूरी है।

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होने कश्मीर टाइम्स पढ़ा है जो जम्मू से प्रकाशित हो रहा था और सारे मीडिया को सभी अन्य स्थानों से काम करने की अनुमति दे दी गयी है। कश्मीर टाइम्स श्रीनगर से प्रकाशित नहीं होने पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया।

सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मीडिया से पाबंदियां हटाने के लिये दायर याचिका पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता को जम्मू कश्मीर मे तैनात सुरक्षा बलों पर भरोसा करना चाहिए । उन्होंने कहा कि अधिकारी रोजाना स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिये कुछ समय दिया जाना चाहिए।

अनुरोध भसीन द्वारा दायर याचिका में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाये जाने के बाद पत्रकारों के कामकाज पर लगाये गये प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है। वह चाहती हैं कि पूरे राज्य में मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन टेलीफोन सेवा सहित हर तरह की संचार व्यवस्था बहाल की जाये ताकि पत्रकार अपना कामकाज सुचारू ढंग से कर सकें। 

Web Title: Article 370: Journalist Irfan Malik detained from his house late night of 14 August

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे