'अनुच्छेद 35A ने नागरिकों के तीन मौलिक अधिकार छीन लिए', सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 29, 2023 10:51 AM2023-08-29T10:51:44+5:302023-08-29T10:55:49+5:30

सुनावई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35-A ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया है। इसने नागरिकों से जम्मू- कश्मीर में रोजगार, अवसर की समानता, संपत्ति अर्जित करने के अधिकार छीना है। ये अधिकार खास तौर पर गैर-निवासियों से छीने गए हैं।

Article 35A Took Away Three Fundamental Rights Of Citizens Says Supreme Court | 'अनुच्छेद 35A ने नागरिकों के तीन मौलिक अधिकार छीन लिए', सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है28 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई का 11वां दिन थाCJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35-A से मौलिक अधिकारों का हनन हुआ

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है। 28 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई का 11वां दिन था। इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर (J&K) के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35A को लेकर अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के अनिवासियों से उनका मौलिक अधिकार छीन रहा था।

सुनावई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि  अनुच्छेद 35-A ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया है। इसने नागरिकों से जम्मू- कश्मीर में रोजगार, अवसर की समानता, संपत्ति अर्जित करने के अधिकार छीना है। ये अधिकार खास तौर पर गैर-निवासियों से छीने गए हैं।

सर्वोच्च न्यायलय में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 35ए से भारत के निवासियों के 3 मौलिक अधिकारों का हनन होता है। सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 35ए से अचल संपत्ति हासिल करने का अधिकार,  रोजगार के अवसर की समानता और भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने के मौलिक अधिकार अधिकार का हनन होता है। 

सुनवाई में भारत सरकार की तरफ से पेश  सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर सहमति जताई। तुषार मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 35ए के अनुसार "स्थायी निवासियों" को परिभाषित करने के लिए वर्ष 1927 को कट-ऑफ वर्ष के रूप में निर्धारित किया गया था। उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई जहां दशकों से इस क्षेत्र में रह रहे लोगों को अधिकारों से वंचित कर दिया गया। एसजी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि महिलाओं ने एक अनिवासी से शादी करने का अधिकार खो दिया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर में लागू मौजूदा प्रावधान एक संवैधानिक प्रयोग है जो मौलिक अधिकार प्रदान करता है और संपूर्ण संविधान को लागू करता है और जम्मू-कश्मीर के लोगों को अन्य नागरिकों के बराबर लाता है। यह उन सभी कानूनों को लागू करता है जो जम्मू-कश्मीर के लिए कल्याणकारी हैं जो पहले लागू नहीं किए गए थे। 

Web Title: Article 35A Took Away Three Fundamental Rights Of Citizens Says Supreme Court

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