नयी दिल्ली, 14 दिसंबर देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी समूह) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने सऊदी अरब सरकार की ओर से कथित रूप से ‘तबलीगी जमात’ पर लगाए गए ‘प्रतिबंध’ को लेकर मंगलवार को दिल्ली में अरब देश के राजदूत से मुलाकात की और उन्हें धार्मिक मामलों के मंत्रालय के नाम लिखा पत्र सौंपा।
जमीयत की ओर से जारी एक बयान में मौलाना मदनी ने कहा कि भारत में सऊदी अरब के राजदूत सऊद बिन मोहम्मद अल साती से आज मुलाकात की और उन्हें बताया है कि देश के इस्लामी मामलों के मंत्रालय की ओर से तबलीगी जमात के संबंध में दिया गया बयान पूरी ‘दुनिया के मुसलमानों’ के लिए ‘गंभीर चिंता’ का विषय है।
उन्होंने कहा, “सऊदी अरब अपने देश में जमात के बारे में क्या विचार रखता है, यह उनका मामला है और न हमने कभी इस सिलसिले में कोई बात की है, लेकिन इस वक्त धार्मिक मामलों के मंत्रालय की ओर से तबलीगी जमात पर जिस तरह के इल्ज़ाम लगाए गए हैं, वे सिर्फ़ तबलीगी जमात के लिए के लिए ही नहीं, बल्कि तमाम मुसलामानों के लिए तकलीफ का विषय हैं।”
बुजुर्ग मुस्लिम नेता ने कहा कि उन्होंने राजदूत को बताया कि तबलीगी जमात का संबंध देवबंदी विचारधारा से है, इसलिए यह विश्व प्रख्यात इस्लामी शिक्षण संस्थान दारूल उलूम देवबंद और जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के लिए चिंता का मामला है।
मौलाना मदनी ने कहा, “ हमने एक खत में अपनी शिकायतें और ज़ज्बात लिखकर राजदूत को दिए हैं और चाहते हैं कि वह इसे इस्लामी मामलों के मंत्रालय तक पहुंचाएं।”
संगठन के प्रमुख ने यह भी कहा, “ राजदूत ने खत को मंत्रालय तक पहुंचाने का आश्वासन दिया और इस मामले में सहयोग का वादा किया।”
सऊदी अरब के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने हाल में तबलीगी जमात को “आतंकवाद का प्रवेश द्वार” करार देते हुए उस पर “प्रतिबंध” लगा दिया था।
इससे एक दिन पहले सोमवार को दारूल उलूम शिक्षण संस्थान के मुख्य मोहतमिम (मुख्य रेक्टर) मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सऊदी अरब से फैसले पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की थी।
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