महाराष्ट्र में 'महा विकास अघाड़ी' सरकार बनने के बाद शिवेसना को पहला बड़ा झटका लगा है। मुंबई के धारावी में एक आयोजित कार्यक्रम के दौरान 400 शिवसेना कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
मालूम हो कि शिवसेना और बीजेपी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एकसाथ चुनाव लड़ी थी। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद सियासी उठापटक इतनी हुई की सूबे में शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया और सरकार बना ली।
उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने, लेकिन अभी भी उप मुख्यमंत्री पद के लिए नाम का खुलासा नहीं किया गया है। शिवसेना, कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महाविकास आघाड़ी की सरकार बने चार दिन हो गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के साथ शपथ लेने वाले छह मंत्रियों को अब तक को मंत्रालय नहीं दिए गए हैं।
मंत्रिमंडल के विस्तार ने होने की वजह से अटका कामकाज
मंत्रिमंडल का विस्तार और मंत्रालयों का बंटवारा अटक जाने से सरकार के कामकाज को गति नहीं मिल पा रही है। कांग्रेस व राकांपा के नेता दिल्ली जाकर आ चुके हैं। वहां बैठकें भी हुईं, लेकिन कहा जा रहा है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
सूत्रों का कहना है कि एनसीपी के नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन शरद पवार की इच्छा है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए। यह सत्र 16 से 21 दिसंबर की अवधि में होगा। उसके बाद क्रिसमस की छुट्टियां लगेंगी. पश्चात लोग 31 दिसंबर मनाने के मूड में रहेंगे।
कांग्रेस के नेताओं ने दिल्ली में बता दिया है कि सरकार बनने के महीने भर बाद तक मंत्रिमंडल का विस्तार व मंत्रालयों का बंटवारा नहीं होने से गलत संदेश जाएगा। इसके अलावा सवाल यह भी है कि केवल 6 मंत्रियों को लेकर सत्र का सामना कैसे किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि राज्य के किसानों को कर्जमाफी देनी है तो किसी मंत्री या मंत्री समूह को उसकी जिम्मेदारी देनी होगी और सारी जानकारी मंगानी होगी। लेकिन मंत्रियों के पास मंत्रालय ही नहीं है। इस कारण कोई भी काम करना संभव ही नहीं है. खबर यह भी है कि राकांपा की ओर से यह दबाव भी है कि जब तक अजित पवार को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाता तब तक कर्जमाफी की घोषणा न की जाए।