Breaking: सेना में महिला अधिकारियों को मिलेगा स्थाई कमीशन, मोदी सरकार की याचिका को SC ने ठुकराया
By अनुराग आनंद | Updated: February 17, 2020 11:14 IST2020-02-17T11:01:52+5:302020-02-17T11:14:09+5:30
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय सेना में महिलाओं को कमांड नियुक्ति नहीं देने के कारणों पर महिला अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर लिखित दलीलों में 'अत्यधिक प्रतिगामी' के रूप में आलोचना की गई थीं। इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट
सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाएगा। इस मामले में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद ही केंद्र सरकार को महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना चाहिए।
इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सेना में सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के मामले में केंद्र सरकार अपनी मानसिकता में बदलाव करे। इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह विकासवादी रवैये का उदाहरण है।
SC says that the contentions of centre, regarding the issue of physiological limitations & social norms to deny an opportunity to women officers is disturbing & can't be accepted.
— ANI (@ANI) February 17, 2020
Also says - Centre, by not giving permanent commission to women officers, had prejudiced the case. https://t.co/XvaHS4MNKy
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने एससी में की थी अपील
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा भारतीय सेना में महिलाओं को कमांड नियुक्ति नहीं देने के कारणों पर महिला अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर लिखित दलीलों में 'अत्यधिक प्रतिगामी' के रूप में आलोचना की गई थी। " केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थीं।
यह कहा गया था कि महिला अधिकारी कमांड नियुक्ति से इनकार करने के संबंध में भारत संघ की ओर से सौंपे गए नोट में दिए गए औचित्य / कारण न केवल अत्यधिक प्रतिगामी हैं बल्कि पूरी तरह से प्रदर्शित रिकॉर्ड और आंकड़ों के विपरीत हैं," मामले में वरिष्ठ वकील ऐश्वर्या भट द्वारा प्रस्तुत लिखित प्रस्तुतियों में कहा गया था।
केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया था
बता दें कि सेना में महिलाओं को कमांड नियुक्तियां देने के खिलाफ तर्क देते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिलाएं अपनी "शारीरिक सीमाओं" और घरेलू दायित्वों के कारण सैन्य सेवा की चुनौतियों और खतरों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं। केंद्र ने मुख्य रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि से ली गईं पुरुष टुकड़ियों की इकाइयों की कमांड महिलाओं को देने पर संभावित अनिच्छा के बारे में बात की है।