सेना खरीदेगी बेहद खतरनाक 'प्रलय' मिसाइल,चीन-पाकिस्तान सीमा पर तैनात होंगी
By शिवेंद्र राय | Published: December 26, 2022 11:18 AM2022-12-26T11:18:03+5:302022-12-26T11:20:01+5:30
भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दी गई है। प्रलय मिसाइल की तैनाती पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा पर तैनात की जाएंगी। ये भारत की रॉकेट फोर्स बनाने की तैयारियों का हिस्सा है।
नई दिल्ली: चीन से लगातार जारी विवाद और सीमा पर बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार और भारतीय सेनाओं ने बड़ा फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय ने एक बड़े फैसले में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दी है। ये बेहद खतरानाक मिसाइलें पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा पर तैनात की जाएंगी। प्रलय मिसाइलों को इंटसेप्ट कर पाना बेहद कठिन काम है। इन मिसाइलों की रेंज 150 से 500 किलोमीटर तक है और यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है।
बेहद उन्नत तकनीक से बनाई गई प्रलय मिसाइलों का विकास साल 2015 में शुरू किया गया था। साल 2021 और 2022 में इसका दो बार सफल परीक्षण हुआ। इस तरह की मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम और दूसरे हथियारों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है और अब भी लगातार इसे उन्नत बनाने पर काम किया जा रहा है। प्रलय चीन की डोंगफेंग मिसाइल का मुकाबला कर सकती है। खास बात यह है कि इसे रात को भी दागा जा सकता है।
लगातार ताकत बढ़ा रही है भारतीय सेना
2020 में गलवान में हुए संघर्ष के बाद से ही लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक चीन से सीमा पर तनाव जारी है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। भारतीय सशस्त्र बलों का पूरा ध्यान अब चीन से लगती सीमा पर अपनी ताकत को बढ़ाने में है। चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ युद्ध की संभावनाओं को देखते हुए ही पूर्व सीडीएस स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत रॉकेट फोर्स बनाने पर काम कर रहे थे। ताकि सीमा पर दुश्मन को काउंटर किया जा सके। प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी जनरल रावत की इसी योजना का हिस्सा है।
बता दें कि भारत ने 15 दिसंबर को देश की सबसे ताकतवर अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया था। अग्नि-5 का परीक्षण रात में किया गया था। मिसाइल को ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से दागा गया और इसने 5500 किलोमीटर दूर स्थित निशाने को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया।