Anti CAA Protest: मैग्सेसे से सम्मानित संदीप पांडे समेत 10 लोग गिरफ्तार, जानें क्या है आरोप
By भाषा | Updated: February 17, 2020 18:19 IST2020-02-17T18:19:01+5:302020-02-17T18:19:25+5:30
लखनऊ के घंटाघर परिसर में महिलाएं पिछले एक महीने से सीएए और एनआरसी के खिलाफ अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रही हैं।

समाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे
संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी के खिलाफ सोमवार को अपनी पदयात्रा से सम्बन्धित पर्चे बांट रहे मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पाण्डेय घंटाघर से गोमतीनगर स्थित उजरियांव तक आज होने वाली अपनी पदयात्रा से सम्बन्धित पर्चे घंटाघर इलाके में नियमविरुद्ध तरीके से बांट रहे थे। इस पर पाण्डेय तथा उनके नौ साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि पाण्डेय तथा अन्य लोगों को धारा 151 (हटने को कहे जाने के बावजूद जानबूझकर पांच या ज्यादा लोगों का समूह बनाकर खड़े होना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि लखनऊ के घंटाघर परिसर में महिलाएं पिछले एक महीने से सीएए और एनआरसी के खिलाफ अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रही हैं।
इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद प्रशासन ने भेजा 1 करोड़ का नोटिस
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस नेता व कवि इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद प्रशासन ने नोटिस भेजा है। प्रतापगढ़ी पर एक करोड़ चार लाख आठ हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मुरादाबाद प्रशासन ने इमरान प्रतापगढ़ी पर सीएए के विरोध में लोगों को भड़काने और धारा 144 के इल्लंघन का आरोप लगाया है।
इससे पहले नागिरकता कानून संशोधन (CAA) के खिलाफ मुरादाबाद के ईदगाह मैदान में ‘अनिश्चितकालीन’ धरने का आयोजन हुआ था। जहां इमरान प्रतापगढ़ी ने प्रशासन के इजाजत के बावजूद भाषण दिया था। इसके बाद धरना देने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया था। इनमें से अधिकतर महिलायें थीं। मुरादाबाद में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू की गयी थी और प्रशासन ने हिंसा में शामिल रहने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की हिदायत दी थी।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
सीएए के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।