भारत की कूटनीतिक जीत, यूरोपीय संसद में CAA विरोधी प्रस्ताव पर टला मतदान

By स्वाति सिंह | Published: January 30, 2020 08:09 AM2020-01-30T08:09:16+5:302020-01-30T08:09:16+5:30

यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में मुसलमानों को संरक्षण प्रदान नहीं किये जाने की निंदा की गयी है। इसमें यह भी कहा गया है कि भूटान, बर्मा, नेपाल और श्रीलंका से भारत की सीमा लगी होने के बाद भी सीएए के दायरे में श्रीलंकाई तमिल नहीं आते जो भारत में सबसे बड़ा शरणार्थी समूह है और 30 साल से अधिक समय से रह रहे हैं।

anti-CAA motion in European Parliament is postponement, India's diplomatic victory | भारत की कूटनीतिक जीत, यूरोपीय संसद में CAA विरोधी प्रस्ताव पर टला मतदान

भारत सरकार का कहना है कि पिछले महीने संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देश का आंतरिक मामला है

Highlightsयूरोपीय संसद में भारत को CAA के मामले में सफलता हासिल हुई। यूरोपीय संसद में CAA के खिलाफ पेश प्रस्ताव के खिलाफ होने वाली वोटिंग टल गई है।

यूरोपीय संसद में भारत को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मामले में सफलता हासिल हुई। दरअसल, यूरोपीय संसद में भारत के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पेश प्रस्ताव पर गुरुवार को होने वाली वोटिंग टल गई है। अब 31 मार्च को होगी।

बताया जा रहा है कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मार्च में ब्रसेल्स में होने वाले द्विपक्षीय सम्मेलन को चलते लिया गया है। साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि अब इस प्रस्ताव पर 31 मार्च को वाटिंग कराई जा सकती है। हालांकि, मतदान टलने के कारणों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

बता दें कि भारत के सीएए के खिलाफ यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव को बुधवार को ब्रसेल्स में होने वाले पूर्ण सत्र में चर्चा के अंतिम एजेंडे में सूचीबद्ध किया गया। 

यूरोपीय संसद के बयान में कहा गया है कि ब्रसेल्स में आज के सत्र में MEPs के एक निर्णय के बाद, नागरिकता संशोधन कानून के प्रस्ताव पर वोट मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। मतदान के टालने के जवाब में, सरकारी सूत्रों ने कहा कि 'भारत के दोस्त' यूरोपीय संसद में 'पाकिस्तान के दोस्त' पर हावी रहे।

इस प्रस्ताव में पिछले महीने दिये गये संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के बयान को संज्ञान में लिया गया जिसमें सीएए को ‘बुनियादी रूप से भेदभाव की प्रकृति’ वाला कहा गया था।

इसमें संयुक्त राष्ट्र तथा यूरोपीय संघ के उन दिशानिर्देशों को भी आधार बनाया गया, जिनमें भारत सरकार से संशोधनों को निरस्त करने की मांग की गई है। इस मामले में भारत सरकार का कहना है कि पिछले महीने संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देश का आंतरिक मामला है और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करना है। भारत ने ईयू के कदम की कड़ी निंदा की है। 

जबकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को उक्त प्रस्तावों के संदर्भ में पत्र लिखकर कहा कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है और निहित स्वार्थो के लिए इनका दुरुपयोग हो सकता है। यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में मुसलमानों को संरक्षण प्रदान नहीं किये जाने की निंदा की गयी है।

इसमें यह भी कहा गया है कि भूटान, बर्मा, नेपाल और श्रीलंका से भारत की सीमा लगी होने के बाद भी सीएए के दायरे में श्रीलंकाई तमिल नहीं आते जो भारत में सबसे बड़ा शरणार्थी समूह है और 30 साल से अधिक समय से रह रहे हैं।

Web Title: anti-CAA motion in European Parliament is postponement, India's diplomatic victory

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