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एएन-32 विमान हादसा मामला: वायुसेना के ज्यादातर विमान पुराने हो रहे हैं, समिति ने बताए दुर्घटना के और भी कारण

By भाषा | Updated: March 1, 2020 15:16 IST

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने यह पाया है कि जांच दल ने 3 जून 2019 को हुए एएन-32 विमान दुर्घटना की जांच पूरी कर ली है। इस दुर्घटना में काफी जानें गई थीं। उक्त दुर्घटना का कारण यह बताया गया कि खराब मौसम में नौवहन त्रुटि के कारण विमान गलत घाटी में घुस गया और विमानकर्मी खराब दृश्यता और बादलों के कारण विमान को बंद घाटी से सुरक्षित बाहर नहीं ला सके।’’

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ठळक मुद्देअरुणाचल के सियांग जिले में 3 जून 2019 को भारतीय वायुसेना का मालवाहक विमान एएन-32 लापता हो गया था। करीब 10 दिन बाद इसमें सवार वायु सेना के 13 कर्मियों के शव एवं ब्लैक बाक्स मिला था।

अरुणाचल प्रदेश के सियांग में 3 जून 2019 को एएन-32 विमान, नौवहन त्रुटि के कारण गलत घाटी में प्रवेश कर गया था और विमानकर्मी खराब दृश्यता और बादलों के कारण विमान को बंद घाटी से सुरक्षित बाहर नहीं ला सके जिससे वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। संसद की स्थायी समिति ने यह खुलासा करने के साथ ही कहा है कि वायुसेना के अधिकांश विमान पुराने हो रहे हैं और इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं।

समिति ने विमान दुर्घटनाओं को टालने के लिए विमानकर्मियों को समुचित प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत को रेखांकित किया है। रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने पिछले दिनों संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया कि उसे भारतीय वायुसेना की अनुदान की मांगों की जांच के दौरान यह जानकारी मिली।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने यह पाया है कि जांच दल ने 3 जून 2019 को हुए एएन-32 विमान दुर्घटना की जांच पूरी कर ली है। इस दुर्घटना में काफी जानें गई थीं। उक्त दुर्घटना का कारण यह बताया गया कि खराब मौसम में नौवहन त्रुटि के कारण विमान गलत घाटी में घुस गया और विमानकर्मी खराब दृश्यता और बादलों के कारण विमान को बंद घाटी से सुरक्षित बाहर नहीं ला सके।’’

समिति यह सिफारिश करती है कि विमान को उड़ाने से पहले मौसम संबंधी जानकारी को ध्यान में रखा जाए। गौरतलब है कि अरुणाचल के सियांग जिले में 3 जून 2019 को भारतीय वायुसेना का मालवाहक विमान एएन-32 लापता हो गया था। इसके करीब 10 दिन बाद इसमें सवार वायु सेना के 13 कर्मियों के शव एवं ब्लैक बाक्स मिला था। जब एएन-32 विमान लापता हुआ तब इसके पायलट आशीष तंवर की पत्नी संध्या तंवर एयरफोर्स के जोरहाट स्थित एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) में ड्यूटी पर थीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विमानों की दुर्घटना समिति के लिये चिंता का विषय है। यद्यपि पिछले वर्षो में उठाये गए कदमों के कारण दुर्घटनाओं में कमी आई है, फिर भी समिति यह इच्छा व्यक्त करती है कि किसी भी दुर्घटना में किसी भी पायलट की जान न जाए और विमान की हानि न हो।

दुर्घटनाओं की संख्या 11वीं योजना में प्रति वर्ष औसतन 13 दुर्घटनाओं से 12वीं योजना के दौरान कम होकर प्रति वर्ष औसतन 8 दुर्घटना हुई है। इसमें कहा गया है कि 4 से 9 नवंबर 2019 तक उत्तर पूर्वी कमान में हुए समिति के अध्ययन के दौरान यह बात सामने आई है कि वायुसेना के पास उपलब्ध अधिकांश विमान पुराने हो रहे हैं और इससे दुर्घटनाएं होती है। समिति यह पाती है कि विमानकर्मियों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है।

संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षक विमानों के बारे में समिति को बताया गया है कि इनकी स्वीकृत संख्या 388 की तुलना में वर्तमान में 260 प्रशिक्षक विमान है। इनमें से 42 अब किसी भी प्रकार से प्रयोग में नहीं हैं। अत: वायु सेना के पास 218 प्रशिक्षक विमान बचे हैं।

टॅग्स :इंडियन एयर फोर्समोदी सरकारलोकमत हिंदी समाचार
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