पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ही पार्टी के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को 30 साल पुराने रोज रेज मामले तीन साल की सजा दिए जाने की पैरवी करने पर सफाई दी है। अमरिंदर सिंह द्वारा शुक्रवार (13 अप्रैल) को जारी बयान में राज्य सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा गया कि सरकार ने उसके पास मौजूद एकमात्र कानूनी विकल्प का चुनाव किया। अमरिंदर सिंह की तरफ से जारी बयान में उम्मीद जतायी गयी है कि अदालत अंतिम फैसला लेते समय नवजोत सिंह सिद्धू के समाज और देश के लिए योगदान को ध्यान रखेगी। पंजाब सरकार ने कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 1988 के रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी माफी याचिका के खिलाफ अपील की है।
27 दिसंबर 1988 को पटियाला में सिद्धू की 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से सड़क पर नोकझोंक हो गयी थी। सिद्धू ने गुरनाम को सिर पर मार दिया था। गुरनाम की ब्रेन हेमरेज की वजह से मौत हो गयी थी। निचली अदालत ने सिद्धू को मामले में बरी कर दिया था लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनायी थी। सिद्धू ने जमानत लेकर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अमरिंदर सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सिद्धू को तीन साल की सजा मिलनी चाहिए क्योंकि गुरनाम सिंह की उनके द्वारा मुक्का मारने की वजह से मौत हुई थी।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट में उनकी सरकार अपना रुख नहीं बदल सकती थी। अमरिंदर सिंह ने कहा, "अगर हम ऐसा करते तो हम पर पहले या अब झूठ बोलने का आरोप लगता।" अमरिंदर सिंह ने कहा कि वो कानूनी मामलों में राजनीति करने में यकीन नहीं रखते। अमरिंदर ने कहा कि वो सिद्धू को बचपन से जानते हैं और सिद्धू ऐसे इंसान हैं जो आगे बढ़कर दूसरी की मदद करते हैं। वहीं सिद्धू ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया से कहा कि वो अदालत का सम्मान करते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर राज्य सभा सदस्य चुने गये थे। जुलाई 2016 में सिद्धू ने राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू और उनकी विधायक पत्नी नवजोत सिंह कौर ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। जनवरी 2017 में सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गये।