नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जारी है। इस दौरान सदन में नेताओं के बीच वाद-विवाद भी देखने को मिला। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी प्रस्ताव के विरोध में भाषण दिया और कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव का मकसद भ्रांति फैलाना है। इसपर सदन को विश्वास नहीं है।
अमित शाह ने कहा, "ये अविश्वास प्रस्ताव ऐसा है कि जिसमें न तो प्रधानमंत्री और न मंत्रिमंडल के प्रति न तो जनता को अविश्वास है न सदन को अविश्वास है। और ये अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। इसका उद्देश्य जनता में भ्रांति फैलाने का मकसद है।"
अपने भाषण में अमित शाह ने अब से पहले की सरकारों के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्तावों का जिक्र भी किया और कहा कि बीजेपी और एनडीए का चरित्र सिद्धांतों की राजनीति करने की है। शाह ने कहा कि सारे सिद्धांत, चरित्र त्यागकर किसी प्रकार से सत्ता को संभालना कांग्रेस का चरित्र है भाजपा का नहीं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, "अविश्वास का प्रस्ताव एक संवैधानिक प्रक्रिया है। विपक्ष का ये अधिकार है वो ले आए। मैं 3 अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र जरूर करूंगा। दो बार हम लाए थे जब यूपीए सरकार सत्ता में थी। एक बार एनडीए सरकार के खिलाफ थी। नरसिम्हा राव की सरकार थी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था। राव की सरकार को कांग्रेस को बचाना था। राव की सरकार अविश्वास प्रस्ताव जीत गई लेकिन बाद में कई नेताओं को जेल हुई और राव को भी हुई। आज कांग्रेस भी वहीं बैठी है और जेएमएम भी वहीं बैठी है।"
अमित शाह ने आगे कहा, "मनमोहन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था और सांसदों को करोड़ों रुपये का घूस दी गई और वो सरकार बचा ली गई। सारे सिद्धांत, चरित्र त्यागकर किसी प्रकार से सत्ता को संभालना इनका लक्ष्य है। 1999 में अटल जी के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव आया था। हम भी कांग्रेस जैसा कर सकते थे। लेकिन हमने नहीं किया।"
अमित शाह ने कहा कि 9 साल में मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले किए जो युगांतकारी है। 9 अगस्त के दिन को महात्मा गांधी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा दिया था। मोदी सरकार ने भारतीय लोकतंत्र को तीन नासूरों, भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को हटाकर विकास को तरजीह दी है।