Amit Shah Exclusive Interview: क्या न्याय मिलने में होने वाला विलंब दूर हो पाएगा? गृहमंत्री अमित शाह ने दिया जवाब

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 6, 2024 11:21 AM2024-02-06T11:21:02+5:302024-02-06T11:22:45+5:30

केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री अमित शाह एक तेज तर्रार मंत्री के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। नई दिल्ली में ढलती शाम के बीच उनके साथ नए कानूनों के विषय में सवाल-जवाब के साथ देश के वर्तमान राजनीतिक हालातों पर भी करीब एक घंटे तक उनके निवास पर चर्चा हुई। प्रस्तुत हैं लोकमत समूह के संयुक्त प्रबंध संचालक और संपादकीय संचालक ऋषि दर्डा और नेशनल एडिटर हरीश गुप्ता की गृह मंत्री से बेबाक बातचीत के अंश।

Amit Shah Exclusive Interview Will the delay in getting justice be eliminated Home Minister Amit Shah replied | Amit Shah Exclusive Interview: क्या न्याय मिलने में होने वाला विलंब दूर हो पाएगा? गृहमंत्री अमित शाह ने दिया जवाब

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकमत लोकमत समूह को दिया इंटरव्यू

Highlightsपहले एफआईआर पर पूरी तरह से अमल में लाने में कई साल लग जाते थे - अमित शाहनए कानून में बदलाव कर न्याय प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया है - अमित शाहहिरासत में लेने की समय सीमा बढ़ाई है - अमित शाह

Amit Shah Exclusive Interview: केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री अमित शाह एक तेज तर्रार मंत्री के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। वह जितने आत्मविश्वास के साथ संसद में अपनी बात रखते हैं, उतनी दृढता के साथ उसे पालन कराने का दावा भी करते हैं। बीते सप्ताह नई दिल्ली में ढलती शाम के बीच उनके साथ नए कानूनों के विषय में सवाल-जवाब के साथ देश के वर्तमान राजनीतिक हालातों पर भी करीब एक घंटे तक उनके निवास पर चर्चा हुई। प्रस्तुत हैं लोकमत समूह के संयुक्त प्रबंध संचालक और संपादकीय संचालक ऋषि दर्डा और नेशनल एडिटर हरीश गुप्ता की गृह मंत्री से बेबाक बातचीत के अंश।

सवाल : अनेक बार ऐसा देखने में आता है कि किसी मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने बाद सालों तक उसकी मामले की सुनवाई शुरू नहीं हो पाती, यहां तक कि उसे जमानत के लिए भी सालों इंतजार करना पड़ता है। क्या इस तरह के न्याय में विलंब दूर हो पाएगा?

उत्तर : किसी भी मामले में इतना विलंब करना संभव नहीं है। पहले एफआईआर पर पूरी तरह से अमल में लाने में कई साल लग जाते थे। होना यह चाहिए कि एफआईआर के तीन साल के अंदर हाईकोर्ट तक का फैसला आना चाहिए था। अब नए कानून में बदलाव कर न्याय प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया है।

सवाल : नए कानून में पुलिस हिरासत 15 से 60 दिन तक बढ़ा दी गई है। ऐसा क्यों ?

उत्तर : पुलिस हिरासत को 15 दिन का ही रखा है।  इसे 60 दिन तक कभी-भी मांग सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि अभी तमिलनाडु में एक आरोपी को पकड़ा गया था। तो उन सज्जन को अचानक हार्टअटैक आ गया। जॉगिंग करते हुए पकड़ा था। फिर हार्टअटैक आ गया। हार्टअटैक आने के बाद वह अपने ही अस्पताल में भरती हो गया और उसे 15 दिन आराम करने का प्रमाण-पत्र भी मिल गया। पहले ऐसे में पूछताछ संभव नहीं थी। मगर अब 15 दिन आराम करने के बाद हमारे 15 दिन बाकी होंगे। हमने हिरासत की अवधि नहीं बढ़ाई है।  हिरासत में लेने की समय सीमा बढ़ाई है।

इसके अलावा यदि पुलिस किसी को पकड़ कर लाई और उससे पूछताछ पूरी कर ली। उसे दस दिन में जेल में भेज दिया, मतलब न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बाद में एक आरोपी मिला, वह कहेगा कि यह उसने किया तो दोनों को आमने-सामने करना पड़ेगा। यह बाद में किया जा सकता है। 15 दिन में अभी 5 दिन बाकी है। यह न्याय के लिए किया है। इसमें किसी की प्रताड़ना नहीं होगी। पुलिस 15 दिन से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकेगी।

सवाल : कई लोग कह रहे है कि इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचेगा

उत्तर : अवधि बढ़ाते हैं, 16 दिन करते हैं तो क्या होगा। हमने 15 दिन में ‘ब्रेकअप’ लेने का अधिकार पुलिस को दिया है।

सवाल : कुछ दिन पहले कईं राज्यों में ट्रक चालकों ने विरोध प्रदर्शन किया था। ‘हिट एंड रन’ मामले में सजा और जुर्माना बहुत ज्यादा है, इसमें बदलाव की मांग को लेकर विरोध हुआ। बाद में सरकार ने हस्तक्षेप किया। आखिर ऐसा क्यों हुआ?

उत्तर : यह सब गलतफहमी के कारण हुआ है। कानून में प्रावधान है कि यदि ‘हिट एंड रन’ मामले में यदि आप पुलिस को मोबाइल, 108 पर इन्फॉर्म नहीं करते हो और भाग जाते हो, बाद में कैमरे से पकड़े जाते हो तो सजा व जुर्माना है। आज 70 फीसदी मौत दुर्घटना के केस में खून बह जाने की वजह से होती है। क्यों कि घायल को वक्त पर अस्पताल नही लाया जाता। आज अपने देश में ऐसी व्यवस्था है कि 108 नंबर पर फोन करेंगे तो 10-15 मिनिट में एक एम्बुलेंस हाई-वे पर पहुंच जाती है। मैं कहता हूं कि जहां दुर्घटना हुई है, वहां आप गाड़ी मत खड़ी करिए, गांव वाले मारेंगे, दूर जाकर गाड़ी खड़ी करिए और 108 पर  फोन करिए। जो आधे घंटे में सूचित नहीं करेगा उसी को सजा होगी। मगर फिर भी हमने ट्रक चालकों से चर्चा करने का तय किया है। हम चर्चा करेंगे। मुझे विश्वास है कि हम उन्हें समझा पाएंगे।

सवाल : विदेशों में बैठे दाऊद इब्राहिम जैसे माफिया सरगनाओं पर भी क्या कभी शिकंजा कसा जा सकेगा? क्या इनसे भी निपटने की कोई तैयारी है?

उत्तर : ‘ट्रायल इन एब्सेन्सिया’ एक नया कानून बनाया गया है। जैसे दाऊद इब्राहिम मुंबई के बम धमाकों में आरोपी है। वो भाग गया है, इसलिए उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, अब तक ऐसा होता था। पर आगे ऐसा नहीं होगा। अदालत वकील की नियुक्ति करेगी, सुनवाई भी होगा और सजा भी होगी। अगर उसे अपील करनी है तो निजी तौर पर अदालत में आकर अपील करनी होगी। जब सजा होती है तो इंटरनेशनल कानून के हिसाब से उसका भारत में प्रत्यर्पण बहुत सरल हो जाता है। अभी वो आरोपी है, पर सजा तय होने के बाद अन्य देशों को वह वापस देने पड़ते हैं। जो बड़े-बड़े आरोपी अपराध कर भागे हैं, या देश विरोधी काम कर भागे हैं उन पर अब मुकदमा चलने लगेगा।

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