Amit Shah Exclusive Interview: आर्थिक अपराध के बढ़ते मामलों पर फैसले कब जल्दी सुनाए जाएंगे? गृहमंत्री ने दिया जवाब
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 6, 2024 11:03 AM2024-02-06T11:03:58+5:302024-02-06T11:06:33+5:30
Amit Shah Exclusive Interview: केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री अमित शाह एक तेज तर्रार मंत्री के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। वह जितने आत्मविश्वास के साथ संसद में अपनी बात रखते हैं, उतनी दृढता के साथ उसे पालन कराने का दावा भी करते हैं। बीते सप्ताह नई दिल्ली में ढलती शाम के बीच उनके साथ नए कानूनों के विषय में सवाल-जवाब के साथ देश के वर्तमान राजनीतिक हालातों पर भी करीब एक घंटे तक उनके निवास पर चर्चा हुई।
Amit Shah Exclusive Interview: केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री अमित शाह एक तेज तर्रार मंत्री के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। वह जितने आत्मविश्वास के साथ संसद में अपनी बात रखते हैं, उतनी दृढता के साथ उसे पालन कराने का दावा भी करते हैं। बीते सप्ताह नई दिल्ली में ढलती शाम के बीच उनके साथ नए कानूनों के विषय में सवाल-जवाब के साथ देश के वर्तमान राजनीतिक हालातों पर भी करीब एक घंटे तक उनके निवास पर चर्चा हुई। प्रस्तुत हैं लोकमत समूह के संयुक्त प्रबंध संचालक और संपादकीय संचालक ऋषि दर्डा और नेशनल एडिटर हरीश गुप्ता की गृह मंत्री से बेबाक बातचीत के अंश।
सवाल : आर्थिक अपराध बढ़ रहे हैं. उनकी जांच मुश्किल होती है। सादे चैक के मामले भी जल्दी निपट नहीं पाते हैं। इन मामलों के फैसले कब जल्दी सुनाए जाएंगे?
उत्तर : विपक्ष से सत्ता पार्टी जो नया कानून लाएगी उसकी प्रशंसा की अपेक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने ध्यान से पढ़ा भी नहीं है। मैं एक छोटी-सी बात कहता हूं, कुछ साल पहले हमारे देश में परिवर्तन हुआ। हमने एक कानून बनाया। चेक रिटर्न होता है तो छह माह की सजा होगी। कानून बने दस साल हो गए। अब पांच साल तक फैसला ही नहीं आता है। जो एक ही कारण से नहीं आता है, क्योंकि बैंक वाले सुनवाई के समय आते ही नहीं हैं। अब हर बैंक में एक कंम्प्यूटर होगा, जिस पर ऑनलाइन सुनवाई होगी। कोर्ट पूछेगा कि चेक रिटर्न का कारण क्या है? तकनीकी है या खाते में पर्याप्त राशि का न होना है? तो वह कहेगा कि खाते में पर्याप्त राशि का न होना है। तो अदालत कहेगी मुकदमा समाप्त। छह माह की सजा।
सवाल : मुकदमों में अलग-अलग लोगों की भूमिका के चलते न्याय प्रक्रिया में विलंब होता है, इसे कैसे सुधारा जाएगा?
उत्तर : हमने इन जनरल ऑनलाइन गवाही की व्यवस्था कर दी है। आर्थिक अपराध में डेढ़ लाख पन्नों की चार्जशीट होती है। 30 आरोपी होते हैं, जांच एजेंसी होती है, वकील होते हैं, न्यायाधीश होते हैं। तो सवा लाख पन्नों का जेरॉक्स निकालना पड़ता है। अब एक पेन ड्राइव लेना पड़ेगा। हमने दस्तावेज की व्याख्या में पेन ड्राइव को शामिल कर दिया है। अब समन तामील करने के लिए पुलिस को घर जाना नहीं पड़ेगा। आप आरोपी के फोन पर एसएमएस या मेल से समन भेज सकते हैं। हमने ऐसी भी व्यवस्था की है कि आपने एसएमएस खोला या नहीं, यह भी मालूम पड़ जाएगा. इस प्रकार हमने अनेक प्रावधानों से नए कानून को आधुनिक बनाया है। इसी कारण विश्व का सबसे आधुनिक ‘क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ हमारा होगा।
सवाल : पुलिस, वकीलों और न्यायाधीशों को फैसले के लिए निर्धारित समय दिया जाएगा तो उन पर दबाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर : मैं इस तर्क से सहमत नहीं हूं। आपने सुनवाई कर ली और 45 दिन के बाद यदि फैसला लिखवाने के लिए बैठेंगे तो याद क्या रहेगा?
सवाल : मुकदमे तो ज्यादा आते रहेंगे, एक मुकदमा तो सुनवाई के लिए नहीं रहेगा?
उत्तर : एक मुकदमे का फैसला लिखवा दें। चालू कोर्ट में फैसला लिखवाएं. हमें कोई आपत्ति नहीं है। फैसला दें। फैसला लंबित नहीं रख सकते हैं।
सवाल : लेकिन फैसला लिखने के लिए समय तो लगेगा?
उत्तर : 45 दिन मतलब बहुत सारा समय है।
सवाल : बहुत बार वकील लोग स्थगन मांगते हैं, इससे कैसे निपटा जाएगा?
उत्तर : उसे भी रोकने के लिए हमने इसके अंदर प्रावधान किया है। एक सीमा की बाद आपको स्थगन नहीं मिल पाएगा।