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अमित शाह ने फिर अपने हाथों में ली यूपी की कमान, क्या योगी आदित्यानाथ होंगे साइडलाइन?

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: July 4, 2018 06:07 IST

अमित शाह अपने यूपी चुनावी बैठकों की शुरुआत 2 जुलाई को मिर्जापुर से करेंगे।

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लखनऊ, 22 जूनः भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में सक्रिय होने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से निपटने की जिम्मेदारी वे किसी और डालना नहीं चाहते हैं, क्योंकि ऐसा कर के गोरखपुर-फूलपुर-कैराना में वे इसका परिणाम भुगत चुके हैं। उल्लेखनीय है कि अमित शाह का राष्ट्रीय राजनीति में उत्‍थान लोकसभा चुनाव 2014 में यूपी के में बीजेपी को मिली अप्रत्याशित जीत को ही माना जाता है। तब अमित शाह यूपी के बीजेपी चुनाव प्रभारी थे और बीजेपी 80 में से 72 सीटें जीती थीं।

हालांकि यूपी में योगी आदित्यानाथ का उदय होने के बाद अमित शाह ने यहां सक्रियता कम कर दी थी। लेकिन बीते कुछ दिनों से यूपी के माहौल को देखते हुए उन्होंने फिर से कमान अपने हाथों में ले ली है। अमित शाह आगामी 2 जुलाई से लेकर 4 जुलाई तक यूपी में बीजेपी के हालात दुरुस्त करेंगे।

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इस दौरान वे उत्तर प्रदेश के दोनों हिस्सों पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक-एक दिन डेरा डालेंगे और वर्तमान महौल का ठोह लेंगे। जानकारी के मुताबिक अमित शाह अपने यूपी चुनावी बैठकों की शुरुआत 2 जुलाई को मिर्जापुर से करेंगे। मिर्जापुर, पूर्वी उत्तर प्रदेश का वह जिला है, जो बसपा और सपा गढ़ रहा है। मोदी सरकार और योगी सरकार के बाद सबसे ज्यादा विरोधी स्वर भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के इसी जिले से उठे हैं। इसे जिले में अनुसूचित व पिछड़ी जातियों का बोलबाला है। यह जिला वाराणसी, इलाहाबाद और सोनभद्र से जुड़ता है।

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उल्लेखनीय है कि सोनभद्र के ही रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल ने कुछ दिनों पहले योगी आदित्यनाथ पर अपने सभा से भगाने से आरोप लगाया था। इसके बाद मामला दलित बनाम सवर्ण का हो गया था। जिससे क्षेत्र में बीजेपी को नकारात्मक माहौल बना था। अमित शाह इन्हीं सब मामलों को साधने के लिए मिर्जापुर का रुख कर रहे हैं। इसके अलावा 5 जुलाई को वे आगरा में रहेंगे। यहां से वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के हालात का मुआयना करेंगे। अखिलेश यादव के लगातार हमले और मायावती के सहयोग से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए हालात थोड़े कठिन हो गए हैं। इस बात को हाल ही में जी-न्यूज के एक समिट खुद में अमित शाह ने माना है। इसलिए अब वे योगी आदित्यानाथ के बजाए खुद मैदान में उतरने जा रहे हैं।

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