बिहार में गर्मायी सियासत, महारैली की तैयारी में जुटे महागठबंधन के सभी घटक दल
By एस पी सिन्हा | Published: February 21, 2023 04:56 PM2023-02-21T16:56:31+5:302023-02-21T16:57:59+5:30
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द द्वारा महारैली की तैयारी की समीक्षा की गई एवं उसके प्रभाव क्षेत्र के सभी जिलाध्यक्षों और पार्टी पदाधिकारियों को तैयारी सम्बन्धी आवश्यक निर्देश दिये गये।
पटना: बिहार में मौसम के साथ ही सियासत भी गर्माने लगी है। महागठबंधन द्वारा प्रस्तावित 25 फरवरी के पूर्णियां महारैली को अभूतपूर्व बनाने के लिए राजद सहित महागठबंधन के सभी घटक दलों द्वारा तैयारी जोर शोर से चल रही है। राजद के कई वरिष्ठ नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है और उन्हें बतौर प्रभारी मनोनीत किया गया।
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द द्वारा महारैली की तैयारी की समीक्षा की गई एवं उसके प्रभाव क्षेत्र के सभी जिलाध्यक्षों और पार्टी पदाधिकारियों को तैयारी सम्बन्धी आवश्यक निर्देश दिये गये। उल्लेखनीय है कि महारैली को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव सहित महागठबंधन के सभी दलों का नेता संबोधित करेंगे।
बिहार के सीमांचल में आयोजित महागठबंधन की यह रैली ऐतिहासिक और अभूतपूर्व होगा। महागठबंधन के सभी दलों द्वारा इसे सफल बनाने के लिए अपने अपने स्तर से व्यापक जन सम्पर्क अभियान चलाया जा रहा है। महागठबंधन के बड़े नेता इस रैली की तैयारी में दिन-रात जुटे हुए हैं। बड़े नेता खुद जाकर लोगों को रैली में शामिल होने का निमंत्रण दे रहे हैं।
दरअसल, नेताओं को यह पता है कि यह सिर्फ एक रैली नहीं है, बल्कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह महागठबंधन के लिए एक तरह से अपनी ताकत दिखाने का बड़ा मौका है। यह रैली महागठबंधन की एकता और शक्ति प्रदर्शन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। महागठबंधन ने 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
ऐसे में भाजपा को टक्कर देने के लिए महागठबंधन की एकता और रणनीति बेहद जरूरी है। महागठबंधन में राजद और जदयू आपसी एकता की बात तो खूब कह रहे हैं। लेकिन, उपेन्द्र कुशवाहा ने दोनों दल के बीच थोड़े तनाव को तो बढ़ा ही दिया है। खासकर उपेन्द्र कुशवाहा ने जिस डील का हवाला देकर जदयू से अलग होने का फैसला किया है, वो डील की बात आज भी जदयू को परेशान कर रही है।