अखिलेश यादव का दावा, योगी से 300 विधायक नाराज, कुर्सी बचाने के लिए पुलिस को दिया फ्री हैंड, 18 लोग सुरक्षाकर्मियों के गोलियों से मरे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 31, 2019 10:10 AM2019-12-31T10:10:46+5:302019-12-31T10:13:23+5:30
अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदलने की चर्चा थी और इसलिए सीएम ने पुलिस को खुली छूट दी.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से 300 विधायक नाराज हैं। उन्होंने कहा, सीएम योगी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए यूपी पुलिस को फ्री हैंड दिया। अखिलेश ने दावा किया कि यूपी में 19 में 18 लोगों की मौत पुलिसकर्मियों की गोली से हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "यूपी सरकार को मिले मानवाधिकार आयोग के नोटिसों की संख्या देखें। यूपी को हिरासत में हुई मौतों और फर्जी मुठभेड़ों के लिए सबसे बड़ी संख्या में नोटिस मिले हैं। आपको हमारी सीएम की भाषा सुननी चाहिए। इस राज्य ने महान मुख्यमंत्रियों को देखा है, लेकिन उनमें से किसी ने भी सदन के पटल पर "ठोक दो" नहीं कहा होगा। मुख्यमंत्री ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया और पुलिस को खुली छूट दी क्योंकि 200 से ज्यादा विधायक नाराज थे। अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने खुली छूट दी। मैं सच कह रहा हूं। समाजवादियों ने झूठे आरोप नहीं लगाए। क्या 200 विधायक विरोध पर नहीं बैठे? उसके साथ 100 विधायकों की नाराजगी जोड़ें तो यह आंकड़ा 300 पहुंचता जिससे मुख्यमंत्री परेशान हैं। उन्हें बदलने की चर्चा थी। इस प्रकरण के बाद, क्या आपको लगता है कि भाजपा उन्हें हटाने की हिम्मत कर सकती है? सरकार के लोग खुश हैं कि अगले छह महीनों में निवेश के बारे में कोई पूछने वाला नहीं है।"
अखिलेश यादव ने दावा किया ज्यादातर लोगों की मौत पुलिस की गोली से हुई है। उन्होंने कहा, "जैसा कि लोगों ने मुझे बताया है 19 में से 18 संभवतः पुलिस की गोलियों से मारे गए हैं। लोग पुलिस की गोलीबारी में मारे गए हैं, लेकिन सरकार पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करा रही है। मुझे डर है कि सरकार रिपोर्टों के साथ छेड़छाड़ करेगी। मेरी जानकारी यह है कि उन्होंने पहले दिन से पोस्टमार्टम रिपोर्ट का प्रबंधन शुरू कर दिया था।"
अखिलेश ने कहा, भाजपा का लक्ष्य समाज के भीतर दीवारें खड़ी करना, नफरत पैदा करना और भय को बनाए रखना है। लोग राजनीतिक स्थिति पर नाराज हैं। यूपी में आज भी यदि आप गांवों में जाते हैं और चुनाव परिणामों के बारे में पूछते हैं तो लोग कहते हैं कि यह समझ से परे है कि (विपक्ष) गठबंधन हार गया। नोटबंदी एक फैसला था, इसके नतीजे सबके सामने हैं। जीएसटी एक बड़ा फैसला था, इसका असर हमारे सामने है। अब तो बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी बड़े आर्थिक संकट के बारे में बात करने लगे हैं। बैंकिंग व्यवस्था चरमरा रही है, एनपीए बढ़ गया है। कोई भी बैंकों से क्रेडिट लेने को तैयार नहीं है, अर्थव्यवस्था क्या बची है ?
भाजपा नेतृत्व के दावे विपक्ष भ्रम फैला रहा है के बारे में अखिलेश कहते हैं, कार्ल मार्क्स के दिनों में भी जब वे अपने विचारों को जनता के बीच ले जाना चाहते थे उस समय की सरकार ने प्रेस पर नकेल कस दी थी। हिटलर की अवधि के दौरान उनके विश्वसनीय सलाहकार गोएबल्स ने रेडियो स्टेशनों का नियंत्रण किया था। मैंने पहली बार देखा है कि अब जनता किस तरह से सामने आ रही है। ये वे लोग हैं जो भारत माता से प्यार करते हैं। जो महसूस करते हैं कि हमारा संविधान और इसकी प्रस्तावना के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हर जाति और धर्म के लोग बाहर आ गए हैं, भारतीय बाहर आ गए हैं, भाजपा उनकी पहचान नहीं कर सकती है।