यूक्रेन युद्ध से वायुसेना ने लिया सबक, पिछले दो से तीन वर्षों में 60 हजार से अधिक कल-पुर्जे देश में बनाए, सुखोई विमानों में भी लगाए जा रहे हैं स्वदेशी हथियार

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 14, 2024 01:36 PM2024-01-14T13:36:36+5:302024-01-14T13:38:04+5:30

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि वायुसेना मरम्मत और रखरखाव गतिविधियों के लिए विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माताओं) पर भरोसा नहीं कर सकती है और इसे देश में ही करना होगा।

Air Force manufacturedspare parts in the country Indigenous weapons being installed in Sukhoi 30MKI | यूक्रेन युद्ध से वायुसेना ने लिया सबक, पिछले दो से तीन वर्षों में 60 हजार से अधिक कल-पुर्जे देश में बनाए, सुखोई विमानों में भी लगाए जा रहे हैं स्वदेशी हथियार

सुखोई विमानों में भी लगाए जा रहे हैं स्वदेशी हथियार

Highlightsवायु सेना ने पिछले दो से तीन वर्षों में 60 हजार से अधिक कल-पुर्जों को देश में तैयार कियावायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने बतायासुखोई विमानों में भी लगाए जा रहे हैं स्वदेशी हथियार

नई दिल्ली:  वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने बताया है कि भारतीय वायुसेना ने पिछले दो से तीन वर्षों में 60 हजार से अधिक कल-पुर्जों को देश में तैयार किया। शनिवार, 13 जनवरी को ये जानकारी देते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि वायुसेना मरम्मत और रखरखाव गतिविधियों के लिए विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माताओं) पर भरोसा नहीं कर सकती है और इसे देश में ही करना होगा।

वायुसेना प्रमुख नागपुर के भोंसला सैन्य स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान चेन्नई तट के समीप बंगाल की खाड़ी में भारतीय वायु सेना के एक परिवहन विमान के मलबे का पता लगने के बारे में भी  एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने बात की। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इसमें इतना समय लग गया लेकिन आखिरकार हमें कम से कम गहरे समुद्र में अन्वेषण करने और समुद्र तल में इस तरह की चीजों का पता लगाने की तकनीक तो मिल गई। उन्होंने कहा कि हम इसे सुविधाजनक बनाने और मलबा खोजने में सक्षम होने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बहुत आभारी हैं। यह लंबे अरसे से लंबित दुर्घटना की जांच को समाप्त करेगा।

बता दें कि कल-पुर्जों के देश में निर्माण से लेकर लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करके उनमें स्वदेशी हथियार प्रणाली लगाने का काम भी तेजी से किया जा रहा है।  इस क्रम में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया जा रहा है और इसके ज्यादातर उपकरणों को भारतीय प्रणालियों से बदला जा रहा है। सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान अपग्रेडेशन के बाद भारतीय विमानों में बदल जाएंगे। इसका मतलब यह है कि इसमें लगे ज्यादातर रूसी उपररणों की जगह भारतीय उपकरण ले लेंगे। यह कदम रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को महत्वपूर्ण बढ़ावा भी होगा। अपग्रेड होने के बाद सुखोई के  78% उपकरण स्वदेशी हो जाएंगे।

मौजूदा रूसी रडार को स्वदेशी रूप से विकसित एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रडार से बदला जाएगा। एवियोनिक्स सूट को उन्नत भारतीय प्रणालियों के साथ अपग्रेड किया जाएगा। एक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी होगा। खोई-30 एमकेआई में नई भारतीय हथियार प्रणालियों को भी लगाया जाएगा। इस बदलाव से इसकी आक्रामक क्षमताओं में और वृद्धि होगी।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारतीय वायु सेना (IAF) के 84 सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने का काम जल्द ही शुरू करने जा रहा है। इन 84 विमानों को अपग्रेड करने का काम वायु सेना के विशेष अनुरोध पर किया जा रहा है और इसके लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी भी मिल गई है और बजट भी पास हो गया है।

Web Title: Air Force manufacturedspare parts in the country Indigenous weapons being installed in Sukhoi 30MKI

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