जोधपुर (राजस्थान), 13 नवंबर एम्स जोधपुर के चिकित्सकों ने आठ साल की बच्ची में फॉन्टेन कंप्लीशन नाम की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की, जिसमें हृदय के निचले भाग के कोष से गुजरे बिना फेफड़ों तक शिरा का रक्त पहुंचाया जाता है। अस्पताल के चिकित्सकों ने शनिवार को बताया कि एम्स दिल्ली के बाद वह दूसरा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान है जहां यह जटिल सर्जरी की गयी।
इस बच्ची के हृदय का ऊपरी एट्रियल चैम्बर हृदय के निचले भाग के एक ही कोष से जुड़े हुए थे यानी हृदय के बाएं हिस्से का विकास नहीं हुआ था और यह बीमारी उसे जन्म से ही थी।
हृदय संबंधी चिकित्सक अनुपम दास ने बताया कि मरीज की इसके लिए दो बार सर्जरी करनी पड़ी। पहली सर्जरी 2014 में दिल्ली एम्स में हुई थी जहां उसके शरीर के ऊपरी हिस्से से ऑक्सीजन रहित रक्त को सीधे उसके फेफड़ों की तरफ मोड़ दिया गया।
दास ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया धड़कते हुए दिल पर की गयी। उन्होंने बताया, ‘‘दूसरी सर्जरी अधिक मुश्किल और जटिल थी और एम्स जोधपुर में सीटीवीएस (कार्डियोथोरेसिस और वैस्कुलर सर्जरी) टीम ने की। शहरी के निचले हिस्से से ऑक्सीजन रहित रक्त को दाहिनी फुफ्फुसीय धमनी तक लाने के लिए शिरा के बीच एक कृत्रिम नली लगायी गयी।’’
उन्होंने बताया कि सर्जरी सफल रही और लड़की को स्वस्थ हालत में अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है।
यह सर्जरी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एम्स जोधपुर में सीटीवीएस विभाग में रेडो सर्जरी का पहला मामला है। एम्स जोधपुर ने पिछले तीन महीनों में छह महीने से 23 साल तक की उम्र के मरीजों में हदृय की जटिल 15 सर्जरी की हैं।
एम्स जोधपुर के निदेशक संजीव मिश्रा ने बताया कि संस्थान का कार्डियोवस्कुलर विभाग पश्चिमी राजस्थान में कांजेनिटल कार्डिएक सर्जरी के लिए एक दक्षता केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है जो इस तरह की जटिल सर्जरी को अच्छे परिणामों के साथ अंजाम देगा।
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