कृषि विधायकों को लोकसभा से पास कराने के बाद अब राज्यसभा में पास कराने की बारी है। विधेयकों को राज्य सभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पेश कर दिया है। लोक सभा में जहां सरकार के लिए बिल पास कराना आसान था। वहीं, राज्य सभा में ये नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इसे पास कराना चुनौती भरा है। अकाली दल के इस विधेयक पर विरोध के बाद सरकार के लिए चुनौती थोड़ी और बढ़ गई है।
इस बीच केंद्र सरकार ने बिल को पास कराने के लिए विपक्षी पार्टियों से भी बात शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में शिवसेना और एनसीपी से बात की गई है। मिली जानकारी के अनुसार राजनाथ सिंह ने शिवसेना और एनसीपी के नेताओं से बात की है। बहरहाल, आइए जानते हैं कि राज्य सभा में नंबर गेम क्या कहते हैं।
राज्य सभा में कृषि विधेयक पर क्या है नंबर गेम?
245 सदस्यों की राज्य सभा में 2 स्थान खाली हैं। ऐसे में मौजूदा संसद कुल 243 हैं। अगर सभी सांसद मौजूद रहते हैं तो सरकार को विधेयक के पक्ष में 122 वोटों की जरूरत होगी।
राज्य सभा में बीजेपी के पास फिलहाल 86 सदस्य हैं। वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से भी पांच सदस्य हैं। इसके अलावा कुछ निर्दलीय और मनोनीत सदस्य हैं, जिनका वोट सरकार के पक्ष में जा सकता है।
इसके अलावा सरकार को उम्मीद है कि बीजू जनता दल (बीजद) के 9, AIADMK के 9, TRS के 7 और वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीडीपी के 1 सांसद भी इस विधेयक का समर्थन कर सकते हैं। ऐसे में सरकार के लिए रास्ता आसान हो जाएगा। ये वे पार्टियां है जो फिलहाल ना तो एनडीए के साथ है और ना यूपीए के साथ।
शिवसेना साथ, पर विपक्ष में कौन
शिवसेना की बात करें तो उसने लोकसभा में विधेयक के पक्ष में वोट किया था। उसके तीन सासंद अभी राज्य सभा में हैं। ऐसे में सरकार उम्मीद जता रही है कि 130 से अधिक वोट विधेयक के पक्ष में आएंगे।
विधेयक के विरोध में राज्यसभा में अभी 40 सदस्यों के साथ कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी है। शिरोमणि अकाली दल के तीन राज्यसभा सांसद बिल के विरोध में जाएंगे। ये तय है। वहीं, आम आदमी पार्टी के तीन सदस्य, समाजवादी पार्टी के आठ सांसद, बीएसपी के चार सांसद भी बिल के विरोध में वोट करेंगे।
हालांकि, कुछ छोटे दलों अभी रुख साफ नहीं किया है। वहीं, कई सांसद सदन की कार्यवाही में पहले से ही कोविड सहित अन्य कारणों से हिस्सा नहीं ले रहे हैं। इनमें कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं।
राज्स सभा के रिकॉर्ड के अनुसार सरकार की ओर से 13 सांसद या तो कोविड पॉजिटिव हैं या संसद की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। वहीं विपक्ष में ऐसे करीब 20 सांसद हैं। ऐसे में पूरी प्रक्रिया में इनकी गैरमौजूदगी अहम रोल निभा सकती है।