नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में हुई भारी बारिश से तबाही के बाद करोड़ों का नुकसान हुआ है जबकि कई लोगों को इस आपदा में जान गवानी पड़ी है। इसके अलवा राज्य पर एक नया खतरा संकट आ गया है। दरअसल हिमाचल की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा पर्यटन से आने वाली कमाई पर निर्भर है। देश और दुनिया भर के पर्यटक साल भर हिमाचल जाते रहते हैं जिससे होटल इंडस्ट्री गुलजार रहती है। लेकिन राज्य में हुए जलप्रलय के बाद सैकड़ों सड़कें और संपर्क मार्ग तबाह हो गए हैं। एक ओर पर्यटक पहले ही अपनी आगामी महीनों की बुकिंग रद्द कर रहे हैं। वहीं होटलों तक जाने वाली सड़के बह जाने से आने वाले समय में भी पर्यटन पर असर पड़ने की आशंका है। होटल संचालक इसे लेकर घबराए हुए हैं।
अपनी चिंताओं के बारे में एएनआई से बात करते हुए हिमाचल के होचल व्यवसायी राजिंदर सिंह ठाकुर कहते हैं, "पर्यटन व्यवसाय को 100% नुकसान हुआ है, मैं शिमला, कसौली और मनाली में होटल चलाता हूँ। बाढ़ और बारिश के कारण ज्यादातर जगहों पर सड़क संपर्क नहीं है। पर्यटक दहशत में हैं। कोविड के बाद यह हमारे पर्यटन व्यवसाय के लिए एक और झटका है, हम बस पर्यटन व्यवसाय को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे थे और इस बारिश और बाढ़ ने हमें उल्टा झटका दिया है। पर्यटकों ने राज्य में अगले तीन महीनों के लिए जो एडवांस बुकिंग कराई थी, उसे रद्द कर दिया है। इन दिनों हमारे पास होटल का एक भी कमरा बुक नहीं है।"
बता दें कि हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन विभाग ने बुलेटिन जारी कर 24 जून से लेकर 12 जुलाई तक भारी बारिश और नदियों में आए उफान के से मची तबाही का ब्यौरा दिया है। इसके अनुसार राज्य में करीब 170 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। 594 मकान आंशिक तौर पर प्रभावित हैं। प्रदेश में अबतक 51 लैंडस्लाइड हुए हैं। 32 फ्लैशफ्ल्ड हुए। जिसमें 88 लोगों ने इस दौरान अपनी जान गवाई। राज्य में करीब 1,189 सड़कें अभी भी बंद हैं। 3,737 वाटर सप्लाई स्कीम बाधित हैं। लोक निर्माण विभाग को 710. 71 करोड़ का नुकसान हुआ है। जल विभाग को 501. 30 करोड़ का नुकसान हुआ है। बागवानी विभाग को 75. 27 करोड़ का और शहरी विभाग को 3.15 करोड़ का नुकसान हुआ है।
हिमाचल में ब्यास और पावर्ती नदियों ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। उफनाई नदियों के पानी की ताकत इतनी थी कि घर ताश के पत्ते की तरह गिर गए और गाड़ियां तिनके की तरह बह गई। राज्य को कुल मिलाकर 5 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान है।