कश्‍मीर में सीजफायर के बाद एलओसी से सटे इलाकों में फैला है अमन-चैन, मची है शादियों के उत्सव की धूम

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 13, 2023 12:02 PM2023-06-13T12:02:58+5:302023-06-13T12:06:53+5:30

फरवरी 2020 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के लागू होने के बाद से उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में रहने वाले स्थानीय लोगों में शांति और सुरक्षा की भावना पैदा हुई है।

After the ceasefire in Kashmir, there is peace in the areas adjacent to the LoC, there is a lot of celebration of weddings | कश्‍मीर में सीजफायर के बाद एलओसी से सटे इलाकों में फैला है अमन-चैन, मची है शादियों के उत्सव की धूम

कश्‍मीर में सीजफायर के बाद एलओसी से सटे इलाकों में फैला है अमन-चैन, मची है शादियों के उत्सव की धूम

Highlightsफरवरी 2020 से लागू भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते से कस्मीर के लोगों को राहत हैइसके कारण स्थानीय लोग नए जोश और पारंपरिक तरीके से शादियों का जश्न मना रहे हैंयुद्धविराम समझौते से पहले घाटी के निवासी हमेशा भय के साये में जिंदगी गुजारते थे

जम्‍मू: उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले की गुरेज घाटी में जैसे ही शादी का मौसम शुरू होता है, यहां एक खुशनुमा बदलाव देखने को मिलता है। कथा के शंख की मधुर ध्वनि से लेकर शादियों का आनंदमय संगीत पूरी फिजाओं में गूंज उठता है। फरवरी 2020 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के लागू होने के बाद से स्थानीय लोगों में शांति और सुरक्षा की एक भावना पैदा हुई है। जिसके कारण उन्हें नए जोश और पारंपरिक वैभव के साथ शादियों का जश्न मनाने का मौका मिला है।

युद्धविराम समझौते से पहले घाटी के निवासी हमेशा भय के साये में जिंदगी गुजारते थे। हर वक्त एक ही डर लगा रहता था कि न जाने कब बारूद का गोला उनके हंसते-खेलते जीवन को बर्बाद कर देगा। इस दहशत का नतीजा था कि यहां की शादियों को सामान्य धूमधाम के बिना चुपचाप आयोजित किया जाता था0 क्योंकि परिवार ऐसे अस्थिर वातावरण में खुद की खुशियों पर किसी नजर नहीं लगाना चाहते थे।

हालांकि, अब बंदूकों के शांत होने और शांति के शासन के साथ घाटी अपनी पुरानी रौनक लिये खुशी और राहत से भर गई है। हंसी, संगीत और उत्सव के जीवंत रंगों के साथ शादी के मौसम ने अपनी जीवंतता वापस पा ली है। परिवार सदियों पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं को पुनर्जीवित कर रहे हैं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित कर रहे हैं क्योंकि युद्धविराम से उनमें सुरक्षा और शांति का नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है।

स्थानीय निवासी अर्शीद अहमद ने बताया कि युद्धविराम के बाद परिवर्तन वास्तव में बेहद शानदार हैं और अब वे बिना किसी डर या चिंता के शादी-विवाह जैसे उत्सवों का कुलकर आनंद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि शादी के नगाड़ों की थाप सांसों में और खुशनुमा हवा को भर देती है।

अर्शीद ने कहा कि कभी गोले और बम की गड़गड़ाहट से त्रस्त हमारी घाटी अब प्यार और आनंद की सिम्फनी से गूंजती है। इस युद्धविराम ने हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को अपनाते हुए अपनी शादियों को उत्साह के साथ मनाने की आजादी दी है।

इस बीच जल्द ही होने वाली दुल्हन रूकाया बानो ने यह कहते हुए अपनी खुशी जाहिर की कि उन्होंने हमेशा खुशियों और जीवंत उत्सवों से भरी शादी की कल्पना की थी। संघर्ष विराम की बदौलत मेरा सपना सच हो गया है। उसका कहना था कि हमारी शादियां अब हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं को दर्शाती हैं, जिसमें परिवार और दोस्त अविस्मरणीय यादें बनाने के लिए एक साथ आते हैं।

स्थानीय कारीगर और शिल्पकार, जिन्होंने पहले उथल-पुथल भरी परिस्थितियों के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया था। अब अपनी जटिल शादी की सजावट, पारंपरिक आभूषण और सुरुचिपूर्ण पोशाक की मांग में वृद्धि देख रहे हैं। एक स्थानीय मैरिज इवेंट मैनेजर अल्ताफ अहमद ने बताया कि युद्धविराम ने हमारे काम में नई जान फूंक दी है। हमारी शादी की सजावट अब न केवल सुंदरता बल्कि लचीलापन और आशा का भी प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि उनका काम लुप्त होने के कगार पर था और कोई मांग नज़र नहीं आ रही थी। लेकिन अब जैसे-जैसे शांतिपूर्ण शादियां फलती-फूलती हैं, वैसे-वैसे उनके काम की मांग भी बढ़ती जाती है।

एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में संघर्ष विराम के लागू होने के बाद से 155 शादियां संपन्न हुई हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। अब तक इस वर्ष 21 शादियां निर्धारित की गई हैं, जो गोलाबारी के उनके उत्सवों को बाधित करने के खतरे के बिना अपने प्यार को गले लगाने और जश्न मनाने के लिए समुदाय की उत्सुकता का प्रतिनिधित्व करती हैं।

 

Web Title: After the ceasefire in Kashmir, there is peace in the areas adjacent to the LoC, there is a lot of celebration of weddings

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