कांग्रेस की घोषणा के बाद फिर सरगर्म हुआ महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा

By भाषा | Updated: October 20, 2021 18:50 IST2021-10-20T18:50:12+5:302021-10-20T18:50:12+5:30

After the announcement of Congress, the issue of giving representation to women again became enthusiastic. | कांग्रेस की घोषणा के बाद फिर सरगर्म हुआ महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा

कांग्रेस की घोषणा के बाद फिर सरगर्म हुआ महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा

लखनऊ, 20 अक्टूबर उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारने की कांग्रेस की घोषणा के बाद राज्य विधानसभा में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व एक बार फिर चर्चा में है।

कांग्रेस की घोषणा से अन्य राजनीतिक दलों के सामने यह चुनौती भी खड़ी हो गई है कि वे संकेतात्मक रवैये से ऊपर उठकर महिलाओं को चुनाव में वाजिब भागीदारी दें।

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया था कि राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 40 प्रतिशत सीटों पर महिला प्रत्याशी उतारेगी।

उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी ने यह कदम हर उस महिला के सशक्तिकरण के लिए उठाया है जो न्याय, बदलाव और समाज में एकता की पैरोकार है और महिलाओं को एक ताकत के तौर पर उभरने से रोकने के लिए उनको जाति और धर्म के आधार पर विभाजित करने की कोशिशों का विरोध करती है।

हालांकि कांग्रेस की इस घोषणा पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने इसे कांग्रेस की शोशेबाजी करार दिया और कहा कि पार्टी बताए कि हाल में हुए चुनावों में उसने कितनी महिलाओं को टिकट दिया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपनी समर्पित महिला नेता और कार्यकर्ताओं को ही महत्व नहीं दिया, ऐसे में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की बात महज राजनीतिक स्टंट है।

समाजवादी पार्टी की महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह ने भी कांग्रेस महासचिव प्रियंका के ऐलान पर सवाल उठाए और कहा कि सपा में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के समय से ही निश्चित है और पार्टी हमेशा महिलाओं की आवाज उठाती रही है।

कांग्रेस की इस घोषणा के बाद उसे 403 में कम से कम 160 सीटों पर महिला प्रत्याशी उतरने होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इससे सदन में महिलाओं की भागीदारी बेहतर होने का रास्ता साफ होगा।

वर्तमान में राज्य विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी 10 प्रतिशत है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 40 महिलाएं विधायक बनीं, जो उस वक्त तक की सर्वश्रेष्ठ संख्या थी। हालांकि बाद में हुए उपचुनावों के कारण इस संख्या में बढ़ोत्तरी हुई और इस वक्त राज्य विधानसभा में 44 महिला सदस्य हैं। इनमें भाजपा की 37, सपा, बसपा और कांग्रेस की दो-दो तथा अपना दल सोनेलाल की एक महिला विधायक शामिल हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव (2017) में सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने कुल मिलाकर 96 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था। भाजपा ने सबसे ज्यादा 43 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था।

वहीं, 2012 के विधानसभा चुनाव में 35 महिलाएं विधायक बनी थी जो उस वक्त का एक रिकॉर्ड था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 1952 में हुए प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में कुल 20 महिलाएं चुनी गई थी। उसके बाद 1985 में 31 महिलाएं विधायक बनीं। 1989 में यह संख्या गिरकर 18 रह गई और 1991 के विधानसभा चुनाव में यह और गिरकर महज 10 रह गई। 1993 के विधानसभा चुनाव में 14 महिलाओं ने जीत हासिल की। 1996 में यह संख्या 20 और 2002 में बढ़कर 26 हो गई।

आंकड़ों के अनुसार, 2007 के विधानसभा चुनाव में मात्र तीन महिलाएं ही चुनकर विधानसभा पहुंच सकीं। बसपा ने केवल 20 महिलाओं को टिकट दिया था जबकि 2012 में उसने 33 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था और सपा ने 22 तथा कांग्रेस ने 11 महिलाओं को टिकट दिया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 34 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था, जिनमें से 22 में जीत हासिल की थी।

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Web Title: After the announcement of Congress, the issue of giving representation to women again became enthusiastic.

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