केरल के कोझिकोड में हुए विमान हादसे के बाद एक बार फिर पटना एयरपोर्ट को लेकर डीजीसीए के खड़े हुए कान, रनवे की लंबाई और बर्ड हिट बनी है चिंता का विषय
By एस पी सिन्हा | Published: August 8, 2020 02:47 PM2020-08-08T14:47:17+5:302020-08-08T15:25:16+5:30
कोझिकोड में जिस रनवे पर विमान के उतरने के बाद हादसा हुआ उसकी लंबाई नौ हजार फीट है, जबकि पटना एयरपोर्ट पर रनवे की लंबाई मात्र 65 सौ फीट है. ऐसे में विमानों के उतरने के दौरान एक पल के लिए भी पायलटों के पलक झपकी तो बडा हादसा हो सकता है.
पटना:केरल में हुए विमान हादसे के बाद एक बार फिर पटना एयरपोर्ट पर विमानों के उड़ने और उतरने के खतरे पर चर्चा तेज हो गई है. पटना एयरपोर्ट भी बेहद खतरनाक है. जिसे लेकर कोझिकोड हादसे के बाद डीजीसीए के कान खड़े हो गए हैं. कोझिकोड में जिस रनवे पर विमान के उतरने के बाद हादसा हुआ उसकी लंबाई नौ हजार फीट है, जबकि पटना एयरपोर्ट पर रनवे की लंबाई मात्र 65 सौ फीट है. ऐसे में विमानों के उतरने के दौरान एक पल के लिए भी पायलटों के पलक झपकी तो बडा हादसा हो सकता है.
खतरे का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पटना के रनवे पर विमानों के उतरने के बाद ब्रेक इतनी जोर से लगता है कि विमान में बैठे यात्रियों तक पहियों की थरथराहट का साफ असर होता है. वहीं दूसरा सबसे बड़ा खतरा परिसर का छोटा होना है. एयरपोर्ट पर उतरने और उडान भरने वाले विमान परिसर छोटा होने की वजह से काफी नीचे उडते हैं और उतरते हैं. यदि विमान को इतना नीचे न किया जाए तो लैंडिंग के दौरान टचडाउन से विमान के आगे निकलने का खतरा होता है. रनवे के खत्म ही महज चंद फलांग पर एयरपोर्ट की बाउंड्री है ऐसे में एक पल की चूक बडे हादसे का सबब बन सकती है. इसके साथ ही पटना एयरपोर्ट के लिए तीसरा सबसे बडा खतरा है सचिवालय का वॉच टावर है. पायलट को लैंडिंग और उडान के दौरान हमेशा सतर्कता बरतनी पडती है. अगर विमान के पहिए सही जगह पर रनवे को टच नहीं करते हैं तो और दुबारा उडान भरने की स्थिति पैदा हो तो इस टॉवर से टकरा सकता है.
पटना एयरपोर्ट के लिए एक और सबसे बड़ा खतरा रनवे के दूसरे छोर पर रेलवे की पटरी से है. पटरी के छोर पर पोल लगे हैं जिसेस बिजली सप्लाई होती है और इससे रेलवे का परिचालन होता है इस पुल से भी बडा खतरा बना रहता है. एयरपोर्ट के लिए खतरा रनवे के दूसरे छोर पर रेलवे की पटरियां हैं. इन पटरियों के ऊपर विजली के तार व पोल हैं, जिससे रेलवे परिचालन होता है. इन पोल की ऊंचाई भी विमानों के लिए बडा खतरा है. यही वजह है कि 65 सौ मीटर लंबे रनवे का भी इस्तेमाल ठीक से नहीं हो पाता है. जबकि पटना एयरपोर्ट पर आए दिन बर्ड हीट के मामले आते रहते हैं.
एयरपोर्ट परिसर के आसपास मांस मछलियों की खुली दुकानें आसमानी खतरें को बुलावा देती हैं और अक्सर विमान परिंदों से टकरा जाते हैं. जिससे इनके असंतुलन का खतरा बना रहता है. इस बाबत एयरपोर्ट की ओर से अक्सर स्स्थानीय अधिकारियों से गुहार लगाई जाती है, लेकिन कुछ दिन की सख्ती के बाद मामला ढाक के तीन पात वाला होता है. पिछले साल दर्जन भर ऐसे मामले आए जब विमान से पक्षियों के टकराने की घटना उडान या लैंडिंग के समय हुई. एयरपोर्ट से सटे फुलवारीशरीफ इलाके में निर्धारित मानकों से ज्यादा ऊंचाई पर कई मकान बने हैं. पटना एयरपोर्ट ने कई बार इस मामले में स्स्थानीय प्रशासन को पत्र व्यवहार किया है, लेकिन इन मकानों पर कार्रवाई न के बराबर हुई है. ऐसे में अगर विमानों को किसी कारण से हवा में चक्कर लगाना पडे तो सामने भारी खतरा होता है.